बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश का बिलासपुर जिला जल्द ही देश के लिए हाइड्रो इंजीनियर तैयार करेगा. क्योंकि देश का दूसरा हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बिलासपुर में शुरू हो (Second Hydro Engineering College) गया है. जिसका विधिवत रूप से शुभारंभ करने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिलासपुर आ रहे हैं. बिलासपुर हिमाचल का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां पर केंद्र के चार बड़े प्रोजेक्ट लगभग बनकर तैयार होने जा रहे हैं. जिसमें एम्स, हाइड्रो काॅलेज, भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन व फोरलेन बिलासपुर से होकर तैयार हो रहा है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अक्टूबर को एम्स व हाइड्रो काॅलेज का शुभारंभ करने बिलासपुर आ रहे हैं.
PM ने 2017 में किया था शिलान्यास: बिलासपुर की बंदलाधार में बने हाइड्रो हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज (Bilaspur Hydro Engineering College) का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अप्रैल 2017 को शिमला दौरे के दौरान ऑनलाइन किया था. अब करीब साढ़े पांच साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ही औपचारिक रूप से इसे हिमाचल को समर्पित (PM Modi Himachal tour) करेंगे. साल 2009 में वर्तमान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने बिलासपुर की बंदलाधार में हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने का सपना देखा था.
देश का दूसरा हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज: 29 जुलाई 2016 को दिल्ली में इसका एमओयू साइन हुआ था. नई दिल्ली में हिमाचल सरकार, एनएचपीसी और एनटीपीसी के बीच इसको लेकर एमओयू साइन किया गया था. उस समय तक यह देश का पहला हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज था, लेकिन बंदला में कॉलेज भवन का निर्माण करने और अन्य प्रक्रिया पूरी करने में समय लगा. इसी बीच उत्तराखंड के टिहरी में भी हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू हो गया.
वर्ष 2017-18 से कॉलेज में पहला बैच नगरोटा बगवां में शुरू हुआ. इसमें दोनों निगम, एनएचपीसी और एनटीपीसी ने प्रथम चरण में 75 करोड़ रुपये और दूसरे चरण में 50 करोड़ रुपये का योगदान किया. कॉलेज में सिविल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग की 240 सीटें भरी जाएंगी. वर्तमान में यहां सिविल और इलेक्ट्रिकल ट्रेड में ही कक्षाएं चल रही हैं. हर पाठ्यक्रम में अभी 60-60 सीटों के लिए एडमिशन हुआ है.
हिमाचल में 20 हजार MW हाइड्रो पावर क्षमता: हिमाचल प्रदेश में 20 हजार मेगावाट से अधिक की हाइड्रो पावर क्षमता है. देश में इसका लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा हिमाचल प्रदेश ही उत्पादित करता है. एनटीपीसी और एनएचपीसी राज्य में कई परियोजनाओं के संचालन और निर्माण में लगी हुई हैं. हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बंदला की अधिसूचना 9 सितंबर 2016 को राज्य सरकार ने जारी की थी. कॉलेज सोसाइटी का पंजीकरण 17 मार्च 2017 को हुआ. जबकि नगरोटा बगवां में सिविल, इलेक्ट्रिकल ट्रेड में अकादमिक सेशन साल 2017-18 शुरू हुआ.
140 करोड़ की लागत से बना कॉलेज: बंदला में भवन निर्माण के लिए चार अप्रैल 2018 को टेंडर जारी हुआ था. जिसके बाद जुलाई 2018 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था. पहले इस कॉलेज पर 75 करोड़ की प्रारंभिक लागत थी, जो बढ़कर 105 करोड़ हुई. फिर मास्टर प्लान में बदलाव के बाद इसकी लागत 140 करोड़ तक पहुंची थी. इसका निर्माण कार्य 25 माह में पूरा होना था, लेकिन कोविड के कारण इसके निर्माण में देरी हुई और 2021 में जाकर यह तैयार हुआ. वहीं, दिसंबर 2021 में यहां प्रथम वर्ष की कक्षाएं शुरू हुईं.
529 प्रशिक्षु ले रहे प्रशिक्षण: ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (All India Council for Technical Education) ने बंदला में 2021-22 के बैच के लिए एक सितंबर 2021 को अनुमति दी थी. वहीं, 21 सितंबर 2022 को पूरा कॉलेज बंदला शिफ्ट कर दिया गया था. वर्तमान में प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष की कक्षाएं बंदला में चल रही हैं. जहां 529 प्रशिक्षु सिविल और इलेक्ट्रिकल ट्रेड में प्रशिक्षण ले रहे हैं.
कॉलेज में मिल रही ये सुविधाएं: बिलासपुर हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज 65.18 बीघा भूमि पर बना (Hydro Engineering College in Bandaladhar) है. इसमें अकादमिक भवन, गर्ल्स, ब्वॉयज हॉस्टल, यूजी टैंक, रेन वाटर कलेक्शन टैंक, फैकल्टी के लिए आवासीय भवन और परिसर में अन्य निर्माण किया गया है. पूरे कॉलेज में निशुल्क वाई-फाई की सुविधा है, ताकि प्रशिक्षुओं को इंटरनेट की सुविधा मिल सके.
ये कोर्स भी होंगे शुरू: भविष्य में यहां मैकेनिकल और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की ट्रेड भी शुरू (Trades in Bilaspur Hydro Engineering College) होगी. वहीं, कॉलेज में एमटेक और एमटेक के बाद सिविल और इलेक्ट्रिकल विषयों पर पीएचडी करवाने की योजना भी बनाई गई (Bilaspur Hydro Engineering College) है.
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