हैदराबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी प्रतिबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में छात्रों को दिखाई गई. इस डॉक्यूमेंट्री को यूट्यूब और ट्विटर पर ब्लॉक किया गया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने इसे लेकर अधिकारियों के पास एक शिकायत भी दर्ज कराई है. आरोप है कि छात्रों ने परिसर में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देखी. वहीं, दिल्ली के जेएनयू में भी ये फिल्म दिखाई जानी थी, लेकिन इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया.
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में विवादित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई. इसका आयोजन स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन (SIO) और मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन, की ओर से किया गया. इस संस्था को फ्रेटरनिटी ग्रुप के नाम से जाना जाता है. बताया जा रहा है कि इन समूहों के 50 से अधिक छात्रों ने इस डॉक्यूमेंट्री को देखी.
एबीवीपी के छात्र नेताओं का कहना है कि मामले को विश्वविद्यालय के अधिकारियों के पास भेज दिया गया है. आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. एबीवीपी के छात्र नेताओं का आरोप है कि कैंपस परिसर के अंदर बिना अनुमति के इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाई गई. पुलिस की ओर से इस मामले में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.
वहीं, इससे पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्रसंघ ने अपने कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी के विवादास्पद वृत्तचित्र के प्रदर्शन की घोषणा वाला एक पोस्टर जारी किया था. विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कार्यक्रम को रद्द करने या सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी. कहा गया है कि इस डॉक्यूमेंट्री को देशभर में बैन कर दिया गया है.
इस संबंध में एडवाइजरी के मुताबिक, जवाहर लाल नेहरू स्टूडेंट्स यूनियन ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडियाः द मोदी क्वेश्चन' की स्क्रीनिंग की अनुमति जेएनयू प्रशासन से नहीं मांगी गई. इस तरह की अवैध गतिविधि से जेएनयू परिसर की शांति और सौहार्द बिगड़ सकती है. जेएनयू ने यह बयान तब जारी किया है जब जेएनयूएसयू ने एक पैम्फलेट जारी किया था, जिसमें 24 जनवरी को रात नौ बजे टेफ्लास में बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की बात कही थी.
आपको बता दें कि बीसीसी की इस डॉक्यूमेंट्री में गुजरात दंगो का जिक्र है. इसमें यह कहा गया है कि उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस को खुलकर काम करने नहीं दिया. हालांकि, विदेश मंत्रालय ने इस डॉक्यूमेंट्री को पहले ही खारिज कर दिया है. मंत्रालय ने इस डॉक्यूमेंट्री को उपनिवेशवादी मानसिकता का परिचायक बताया है. खुद ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी इस वृत्तचित्र के तथ्यों से असहमति जताई. ब्रिटिश सासंद ने भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर सवाल उठाए हैं.
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