नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कहा है कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर रहने वाले मानव तस्कर सीमा पार से तस्करी करके लाए गए व्यक्तियों के लिए जाली भारतीय पहचान से जुड़े दस्तावेज बनाने का एक बड़ा फर्जीवाड़ा करते हैं. एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को ईटीवी भारत को बताया, 'मानव तस्कर बांग्लादेश के लोगों के लिए स्थानीय पहचान सुनिश्चित करने के लिए आधार कार्ड से लेकर वोटर कार्ड तक ऐसे सभी जाली दस्तावेजों की व्यवस्था करते हैं.'
एनआईए द्वारा की गई जांच से पता चला है कि भारत-बांग्लादेश सीमा अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करों के लिए ट्राजिट रूट बन गया है. अधिकारी के अनुसार एनआईए का भारत-बांग्लादेश सीमा पर बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों से जुड़े मानव तस्करी पर विशेष ध्यान था. जांच से यह भी पता चला कि मानव तस्करी सिंडिकेट के देश के विभिन्न हिस्सों और सीमा पार सक्रिय अन्य मददगारों और तस्करों के साथ संबंध पाए गए.
एनआईए जांच से पता चला कि भारत-बांग्लादेश सीमा के माध्यम से मानव तस्करी गतिविधियों का एक बड़ा नेटवर्क का काम कर रहा है. आरोपी सीमा पार से तस्करी करके लाए गए व्यक्तियों के लिए जाली भारतीय पहचान दस्तावेजों की भी व्यवस्था कर रहे थे. भारत-बांग्लादेश सीमा पर मानव तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एनआईए ने शुक्रवार को त्रिपुरा के रास्ते भारत में अवैध घुसपैठ में शामिल चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया.
पिछले साल अक्टूबर में गुवाहाटी में एनआईए द्वारा दर्ज मानव तस्करी मामले (आरसी-01/2023/एनआईए/जीयूडब्ल्यू) के तहत त्रिपुरा पुलिस के साथ एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तारियां की गईं. एनआईए ने इससे पहले पिछले नवंबर में मामले में शामिल मानव तस्करी सिंडिकेट पर देशव्यापी छापेमारी के बाद 29 प्रमुख गुर्गों को गिरफ्तार किया था.
अधिकारी ने कहा, 'आरोपी उत्तर-पूर्वी राज्य त्रिपुरा के कई जिलों में सक्रिय सुसंगठित सिंडिकेट से जुड़े रैकेटियर्स के इशारे पर मानव तस्करी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे. सिंडिकेट का नेटवर्क भारत के अन्य हिस्सों में स्थित गुर्गों से भी जुड़ा हुआ था. अधिकारी ने कहा कि शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए चारों आरोपी भारत में बांग्लादेशी मूल के लोगों की अवैध घुसपैठ की सुविधा के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से सक्रिय तस्करों के साथ समन्वय कर रहे थे.'