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SC On Fake Website: फर्जी वेबसाइट से हो रही ठगी की कोशिश, शेयर न करें पर्सनल इंफॉर्मेशन: सुप्रीम कोर्ट

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 31, 2023, 12:55 PM IST

साइबर ठगों का दुहस्साहस दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है. अब उन्होंने लोगों की व्यक्तिगत जानकारी लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ही नकली वेबसाइट बना दी है. कोर्ट ने संबंधित यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) जारी करते हुए कहा है कि https://cbins.scigv.com/offence पर कोई भी व्यक्तिगत जानकारी शेयर ना करें. साथ ही यह भी कहा गया है कि कोर्ट कभी भी किसी की व्यक्तिगत जानकारी जैसे कि बैंक डिटेल नहीं मांगता है. पढ़ें पूरी खबर...

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर लोगों को एक फर्जी सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट के बारे में सचेत किया. आशंका जताई जा रही है कि ये वेबसाइट लोगों से ठगी के लिए बनायी गई है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को फ़िशिंग हमले (ऑन लाइन ठगी) के बारे में अवगत करा दिया गया है.

नोटिस में कहा गया है कि आधिकारिक वेबसाइट की नकल करते हुए नकली वेबसाइट जिनका यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) क्रमश: http://cbins/scigv.com और https://cbins.scigv.com/offence पर बनाई और होस्ट की गई है. नोटिस में कहा गया है कि यूआरएल -https://cbins.scigv.com/offence 'मनी-लॉन्ड्रिंग का अपराध' के माध्यम से हमलावर व्यक्तिगत विवरण और गोपनीय जानकारी मांग रहे हैं.

कोर्ट की ओर से कहा गया है कि लोगों को दृढ़ता से सलाह दी जाती है कि उपरोक्त यूआरएल पर किसी भी व्यक्तिगत और गोपनीय जानकारी को साझा या प्रकट न करें. क्योंकि इससे अपराधियों को जानकारी चुराने में मदद मिलेगी. रजिस्ट्री ने कहा कि वह बड़े पैमाने पर जनता को दृढ़ता से सलाह देती है कि वे प्रामाणिकता की पुष्टि किए बिना प्राप्त लिंक पर न तो क्लिक करें और न ही साझा करें.

कृपया ध्यान दें कि रजिस्ट्री, भारत का सर्वोच्च न्यायालय कभी भी व्यक्तिगत जानकारी, वित्तीय विवरण या अन्य गोपनीय जानकारी नहीं मांगेगा. कृपया यह भी ध्यान दें कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय डोमेन नाम www.sci.gov.in है. किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसे सत्यापित करने के लिए हमेशा यूआरएल पर नजर डाल दें.

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नोटिस में कहा गया है कि यदि आप उपरोक्त यूआरएल के माध्यम से फ़िशिंग हमले का शिकार हुए हैं, तो कृपया अपने सभी ऑनलाइन खातों के पासवर्ड बदल लें और ऐसी अनधिकृत पहुंच की रिपोर्ट करने के लिए अपने बैंक, क्रेडिट कार्ड कंपनी से भी संपर्क करें. रजिस्ट्री ने कहा कि उसने फ़िशिंग हमले के खतरे को कम करने के लिए उपाय किये हैं और इस घटना की जांच करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ जानकारी साझा की है. ताकि अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर लोगों को एक फर्जी सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट के बारे में सचेत किया. आशंका जताई जा रही है कि ये वेबसाइट लोगों से ठगी के लिए बनायी गई है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को फ़िशिंग हमले (ऑन लाइन ठगी) के बारे में अवगत करा दिया गया है.

नोटिस में कहा गया है कि आधिकारिक वेबसाइट की नकल करते हुए नकली वेबसाइट जिनका यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) क्रमश: http://cbins/scigv.com और https://cbins.scigv.com/offence पर बनाई और होस्ट की गई है. नोटिस में कहा गया है कि यूआरएल -https://cbins.scigv.com/offence 'मनी-लॉन्ड्रिंग का अपराध' के माध्यम से हमलावर व्यक्तिगत विवरण और गोपनीय जानकारी मांग रहे हैं.

कोर्ट की ओर से कहा गया है कि लोगों को दृढ़ता से सलाह दी जाती है कि उपरोक्त यूआरएल पर किसी भी व्यक्तिगत और गोपनीय जानकारी को साझा या प्रकट न करें. क्योंकि इससे अपराधियों को जानकारी चुराने में मदद मिलेगी. रजिस्ट्री ने कहा कि वह बड़े पैमाने पर जनता को दृढ़ता से सलाह देती है कि वे प्रामाणिकता की पुष्टि किए बिना प्राप्त लिंक पर न तो क्लिक करें और न ही साझा करें.

कृपया ध्यान दें कि रजिस्ट्री, भारत का सर्वोच्च न्यायालय कभी भी व्यक्तिगत जानकारी, वित्तीय विवरण या अन्य गोपनीय जानकारी नहीं मांगेगा. कृपया यह भी ध्यान दें कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय डोमेन नाम www.sci.gov.in है. किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसे सत्यापित करने के लिए हमेशा यूआरएल पर नजर डाल दें.

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नोटिस में कहा गया है कि यदि आप उपरोक्त यूआरएल के माध्यम से फ़िशिंग हमले का शिकार हुए हैं, तो कृपया अपने सभी ऑनलाइन खातों के पासवर्ड बदल लें और ऐसी अनधिकृत पहुंच की रिपोर्ट करने के लिए अपने बैंक, क्रेडिट कार्ड कंपनी से भी संपर्क करें. रजिस्ट्री ने कहा कि उसने फ़िशिंग हमले के खतरे को कम करने के लिए उपाय किये हैं और इस घटना की जांच करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ जानकारी साझा की है. ताकि अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.

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