नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह एक जनहित याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगा जिसमें दो हालिया अध्यादेशों की वैधता को चुनौती दी गयी है. इन अध्यादेशों के तहत सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का कार्यकाल अब दो साल की अनिवार्य अवधि के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने इन दलीलों पर गौर किया कि इस मुद्दे पर जनहित याचिका को सुनवाई के लिए अभी सूचीबद्ध नहीं किया गया है.
निजी तौर पर जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता एम एल शर्मा ने कहा कि इनमें से एक अध्यादेश के तहत प्रदत्त शक्तियों का सहारा लेकर ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल भी बढ़ा दिया गया है.
पीठ ने कहा, 'हम इसे सूचीबद्ध करेंगे.'
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अध्यादेश तथा दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (संशोधन) अध्यादेश संविधान के खिलाफ, मनमाना और कानून विरूद्ध हैं. याचिका में उन्हें रद्द करने का अनुरोध किया गया है.
जनहित याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत प्रदत्त शक्ति का दुरुपयोग किया है. यह अनुच्छेद संसद के सत्र में नहीं होने के दौरान अध्यादेश जारी करने के राष्ट्रपति के अधिकार से संबंधित है.
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याचिका में आरोप लगाया गया है कि अध्यादेशों का उद्देश्य उस जनहित याचिका पर फैसले में उच्चतम न्यायालय के निर्देश को दरकिनार करना है, जिसमें ईडी निदेशक के पद पर मिश्रा की नियुक्ति के 2018 के आदेश को चुनौती दी गई थी.
याचिका में दावा किया गया है कि सरकार को दो एजेंसियों के प्रमुखों के कार्यकाल को मौजूदा दो साल से अधिकतम पांच साल तक बढ़ाने की शक्ति दिए जाने से, इन एजेंसियों की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है.
(पीटीआई-भाषा)