नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट इस प्रश्न की समीक्षा करने को राजी हो गया है कि क्या अल्पसंख्यक समुदाय (SC on minority institution) के सदस्यों के प्रशासकीय अधिकार वाले किसी शैक्षणिक संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया जाए ? न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने इस सवाल पर उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh), राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग एवं अन्य पक्षों को नोटिस जारी करके उनसे जवाब तलब किया है.
शीर्ष अदालत इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के आदेश को चुनौती देने वाली महायना थेरावड़ा वज्रयना बुद्धिस्ट रिलीजियस एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की अपील (MTVBRC trust plea in SC) की सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि महज एक अल्पसंख्यक व्यक्ति के प्रशासकीय संचालन के तहत चलने वाले शिक्षण संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं दिया जा सकता.
उच्च न्यायालय ने यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनाया था, जिसमें राज्य सरकार ने संबंधित संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने से इनकार कर दिया था. गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने 2001 में एक मेडिकल कॉलेज खोला था और ट्रस्ट के सदस्यों ने 2015 में बौद्ध धर्म अपना लिया था तथा उन्होंने संस्थान का संचालन जारी रखा था.
(पीटीआई-भाषा)