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मतदाता सूची को आधार से जोड़ने के केंद्र के फैसले के खिलाफ याचिका, SC में होगी सुनवाई - Petition against Centres decision in SC

मतदाता सूची के आंकड़ों को आधार से जोड़ने के केंद्र के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर विचार करने के लिए अदालत राजी हो गया है. गौरतलब है कि केंद्र ने पहले निर्वाचन पंजीकरण नियमों में संशोधन करते हुए मतदाताओं के नाम एक साथ कई मतदाता सूचियों में होने से रोकने के लिए मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की मंजूरी दी थी.

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Published : Oct 31, 2022, 1:18 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय मतदाता सूची के आंकड़ों को आधार से जोड़ने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने के लिए सोमवार को राजी हो गया. जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने पूर्व मेजर जनरल एस जी वोम्बाटकेरे द्वारा दायर याचिका को ऐसे ही एक अन्य लंबित मुकदमे से जोड़ दिया. पीठ ने कहा, "याचिकाकर्ता ने 2019 के आधार से जुड़े फैसले पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि अगर कुछ लाभ मांगे जाते हैं तो आधार अनिवार्य हो सकता है लेकिन अधिकारों से दूर रखने के लिए नहीं और मतदान का अधिकार ऐसे अधिकारों में सर्वोच्च है."

न्यायालय ने कहा, "उन्होंने दो अन्य याचिकाएं भी दायर की हैं इसलिए इसे जोड़ने की आवश्यकता है। इस याचिका को उस मामले से संबद्ध करें." याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि मतदान का अधिकार सबसे पवित्र अधिकारों में से एक है और अगर किसी के पास आधार नहीं है तो उसे इससे वंचित नहीं रखा जाना चाहिए. गौरतलब है कि केंद्र ने पहले निर्वाचन पंजीकरण नियमों में संशोधन करते हुए मतदाताओं के नाम एक साथ कई मतदाता सूचियों में होने से रोकने के लिए मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की मंजूरी दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय मतदाता सूची के आंकड़ों को आधार से जोड़ने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने के लिए सोमवार को राजी हो गया. जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने पूर्व मेजर जनरल एस जी वोम्बाटकेरे द्वारा दायर याचिका को ऐसे ही एक अन्य लंबित मुकदमे से जोड़ दिया. पीठ ने कहा, "याचिकाकर्ता ने 2019 के आधार से जुड़े फैसले पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि अगर कुछ लाभ मांगे जाते हैं तो आधार अनिवार्य हो सकता है लेकिन अधिकारों से दूर रखने के लिए नहीं और मतदान का अधिकार ऐसे अधिकारों में सर्वोच्च है."

न्यायालय ने कहा, "उन्होंने दो अन्य याचिकाएं भी दायर की हैं इसलिए इसे जोड़ने की आवश्यकता है। इस याचिका को उस मामले से संबद्ध करें." याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि मतदान का अधिकार सबसे पवित्र अधिकारों में से एक है और अगर किसी के पास आधार नहीं है तो उसे इससे वंचित नहीं रखा जाना चाहिए. गौरतलब है कि केंद्र ने पहले निर्वाचन पंजीकरण नियमों में संशोधन करते हुए मतदाताओं के नाम एक साथ कई मतदाता सूचियों में होने से रोकने के लिए मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की मंजूरी दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

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