नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एलोपैथिक डॉक्टरों की आलोचना करने के लिए बाबा रामदेव की खिंचाई की और उन्हें ऐसा कोई भी बयान देने से बचने के लिए कहा. सीजेआई एनवी रमना ने कहा, 'बाबा रामदेव को क्या हुआ? उन्हें क्यों लोकप्रिय बनना चाहिए? हम सब उनका सम्मान करते हैं, उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया. उन्हें चिकित्सा के अन्य पद्धतियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए.
क्या गारंटी है कि उनका सिस्टम काम करेगा? वह डॉक्टर सिस्टम का खंडन नहीं कर सकते. उन्हें अन्य पद्धतियों पर आरोप लगाने से बचना चाहिए.' सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कोविड वैक्सीन और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को चुनौती दी गई थी.
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याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि इलाज का दावा करने वाले आयुर्वेद के कई भ्रामक विज्ञापन चल रहे हैं. आईएमए की ओर से पेश हुए एडवोकेट प्रभास बजाज ने अदालत में कहा कि आयुर्वेद के 804 भ्रामक विज्ञापन चल रहे हैं. मंत्रालय इस बारे में अच्छी तरह से अवगत है. उन्होंने तर्क दिया कि भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी के लिए मंत्रालय ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किया है, सवाल संसद के समक्ष भी उठाए गये हैं. सीजेआई ने पेश इस दलील पर गौर किया और सवाल किया कि क्या गारंटी है कि आयुर्वेद सभी बीमारियों को रोकेगा. अदालत ने मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.