नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने आगरा केंद्रीय कारागार (Agra central jail) में करीब 14 से लेकर 22 साल तक की अवधियों से बंद 13 कैदियों की रिहाई का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार ( Uttar Pradesh government) से जवाब मांगा. इन लोगों को इस आधार पर रिहा करने की मांग की गयी थी कि उन्हें अपराध के समय किशोर घोषित किया गया था.
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई के लिए आठ जुलाई की तारीख मुकर्रर की.
वकील रिषी मल्होत्रा (Rishi Malhotra) के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया कि 13 कैदी अपराध के समय किशोर न्याय बोर्ड द्वारा 18 साल से कम उम्र के घोषित किये जाने के बावजूद जेलों में वक्त काट रहे हैं.
याचिका में कहा गया कि उनकी समस्या इस बात से और बढ़ गयी कि आगरा केंद्रीय कारागार में बंद ये कैदी पहले ही 14 से 22 साल तक का कारावास बिता चुके हैं.
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इसमें कहा गया कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम में तीन साल तक की अधिकतम कैद का प्रावधान है और वह भी किशोर सुधार गृह में.