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उच्चतम न्यायालय ने 'त्रुटिपूर्ण' अनुष्ठान करने के आरोप वाली याचिका पर टीटीडी से जवाब मांगा

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को 'तिरुपति तिरुमला देवस्थानम' को भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के एक भक्त की उस याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया, जिसमें वहां पूजा करने में 'गलत और अनियमित प्रक्रिया' अपनाने का आरोप लगाया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

तिरुपति तिरुमला देवस्थानम
तिरुपति तिरुमला देवस्थानम
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Published : Sep 29, 2021, 10:27 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को 'तिरुपति तिरुमला देवस्थानम' (टीटीडी) को भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के एक भक्त की उस याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया, जिसमें वहां पूजा करने में 'गलत और अनियमित प्रक्रिया' अपनाने का आरोप लगाया गया है.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पाांच जनवरी के आदेश के खिलाफ एक भक्त की अपील पर सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने उसकी जनहित याचिका पर यह कहते हुए विचार करने से इंकार कर दिया गया था कि 'अनुष्ठान करने की प्रक्रिया देवस्थानम का अधिकार क्षेत्र है और यह तब तक न्यायिक हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं हो सकता, जब तक कि यह दूसरों के धर्मनिरपेक्ष या नागरिक अधिकारों को प्रभावित नहीं करे.'

शीर्ष अदालत ने शुरू में याचिका पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त की और कहा, क्या हम इसमें (अनुष्ठान) हस्तक्षेप कर सकते हैं कि कब और कैसे पूजा की जानी है. यह संवैधानिक अदालत है न कि कचहरी, जहां आप कुछ भी कह सकते हैं.

पढ़ें : टीटीडी ने जारी किया अगस्त माह का वीआईपी कोटा, एक दिन में मिला 1.70 करोड़ रुपये का दान

बाद में पीठ ने मंदिर प्रबंधन के वकील से याचिकाकर्ता श्रीवारी दादा द्वारा किए गए अनुष्ठान संबंधी दावों पर जवाब मांगा.

तिरुपति तिरुमला देवस्थानम एक स्वतंत्र ट्रस्ट है जो आंध्र प्रदेश में प्रसिद्ध भगवान वेंकटेश्वर स्वामी सहित अन्य मंदिरों का प्रबंधन करता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को 'तिरुपति तिरुमला देवस्थानम' (टीटीडी) को भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के एक भक्त की उस याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया, जिसमें वहां पूजा करने में 'गलत और अनियमित प्रक्रिया' अपनाने का आरोप लगाया गया है.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पाांच जनवरी के आदेश के खिलाफ एक भक्त की अपील पर सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने उसकी जनहित याचिका पर यह कहते हुए विचार करने से इंकार कर दिया गया था कि 'अनुष्ठान करने की प्रक्रिया देवस्थानम का अधिकार क्षेत्र है और यह तब तक न्यायिक हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं हो सकता, जब तक कि यह दूसरों के धर्मनिरपेक्ष या नागरिक अधिकारों को प्रभावित नहीं करे.'

शीर्ष अदालत ने शुरू में याचिका पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त की और कहा, क्या हम इसमें (अनुष्ठान) हस्तक्षेप कर सकते हैं कि कब और कैसे पूजा की जानी है. यह संवैधानिक अदालत है न कि कचहरी, जहां आप कुछ भी कह सकते हैं.

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बाद में पीठ ने मंदिर प्रबंधन के वकील से याचिकाकर्ता श्रीवारी दादा द्वारा किए गए अनुष्ठान संबंधी दावों पर जवाब मांगा.

तिरुपति तिरुमला देवस्थानम एक स्वतंत्र ट्रस्ट है जो आंध्र प्रदेश में प्रसिद्ध भगवान वेंकटेश्वर स्वामी सहित अन्य मंदिरों का प्रबंधन करता है.

(पीटीआई-भाषा)

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