नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कर्नाटक लोकायुक्त की उस याचिका पर भाजपा विधायक मदल विरुपक्षप्पा (Madal Virupakshappa) से जवाब मांगा, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती दी गई थी. विधायक कर्नाटक साबुन और डिटर्जेंट (केएसडीएल) कॉन्ट्रैक्ट घोटाले में आरोपी हैं. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने भाजपा विधायक को नोटिस जारी किया. शीर्ष अदालत 14 मार्च को इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ लोकायुक्त की याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गई थी. वहीं कर्नाटक हाई कोर्ट से उनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद विधायक मदल विरुपक्षप्पा को रिश्वत मामले में तुमकुरु में क्याथासंद्रा टोल प्लाजा के पास से गिरफ्तार कर लिया गया.
लोकायुक्त पुलिस ने भाजपा विधायक के बेटे प्रशांत मदल को केएसडीएल कार्यालय में अपने पिता की ओर से कथित रूप से 40 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया. अपने बेटे की गिरफ्तारी के बाद विरुपकाशप्पा ने केएसडीएल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. प्रशांत मदल बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के मुख्य लेखा अधिकारी हैं. यह कथित घोटाला केएसडीएल में रसायन की आपूर्ति से संबंधित है जिसमें 81 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है
उच्च न्यायालय ने विधायक की याचिका पर सुनवाई के बाद उन्हें अग्रिम जमानत दे दी और उन्हें आदेश की कॉपी प्राप्त होने के 48 घंटे के भीतर मामले में जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने विरुपाक्षप्पा को जमानत पर रहते हुए सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का भी निर्देश दिया.
बता दें कि लोकायुक्त पुलिस ने मदल विरुपाक्षप्पा के पुत्र प्रशांत को निविदा प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कथित तौर पर रिश्वत लेते समय गिरफ्तार किया था. इस बीच, मदल विरुपक्षप्पा पहले आरोपी थे और और उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 की धारा 7(ए) व (बी), 7ए, 8, 9 व 10 के तहत आरोपित किया गया था.
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(आईएएनएस)