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सुप्रीम कोर्ट मांगेगा विशेष अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधाओं की जानकारी

सुप्रीम काेर्ट सांसदों और विधायकों से संबंधित मुकदमों को देखने वाली विशेष अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधाओं की उपलब्धता के बारे में उच्च न्यायालयों के महापंजीयकों से सूचना उपलब्ध कराने के लिए कहने के मुद्दे पर विचार करने पर सहमत हो गया.

उच्चतम
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Published : Aug 11, 2021, 10:15 PM IST

नई दिल्ली : प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमणा, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने मंगलवार को लोक अभियोजकों की शक्तियों को सीमित करने सहित कुछ निर्देश जारी किए थे और आदेश दिया था कि वे उच्च न्यायालयों से पूर्व अनुमति के बिना दंड प्रक्रिया संहिता के तहत सांसदों और विधायकों के खिलाफ मुकदमों को वापस नहीं ले सकते.

न्यायालय ने लंबित मामलों को निपटाने में तेजी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक अन्य महत्वपूर्ण निर्देश में कहा था कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों का अगले आदेशों तक स्थानांतरण नहीं किया जा सकता.

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं अदालत मित्र विजय हंसारिया ने पीठ के समक्ष उल्लेख किया कि देशभर में विशेष अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा की उपलब्धता से जुड़े एक और पहलू पर 10 अगस्त के आदेश में विचार किया जाना चाहिए.

पीठ ने उच्च न्यायालयों के महापंजीयकों को एक खास स्वरूप में विशेष अदालतों के न्यायाधीशों के नाम, तैनाती के स्थान, तबादले की तारीख, मौजूदा पदस्थापना के दौरान निपटाए गए मुकदमों की संख्या, लंबित मुकदमों और उनकी स्थिति से संबंधित सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.

अदालत मित्र ने इन अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा से जुड़ी सूचना चाही जिस पर प्रधान नयायाधीश ने कहा कि हम इसे शामिल करेंगे.

पूर्व के निर्देश के अनुरूप स्थिति रिपोर्ट दायर न करने पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने कहा था कि वह केंद्र और इसकी एजेंसियों को आदेशों के पालन के लिए अंतिम मौका दे रही है. मामले में अगली सुनवाई के लिए इसने 25 अगस्त की तारीख निर्धारित की है.

पीठ अधिवक्ता एवं भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा 2016 में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे मुकदमों को त्वरित गति से निपटाने तथा दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर हमेशा के लिए रोक लगाने का आग्रह किया गया है.
(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमणा, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने मंगलवार को लोक अभियोजकों की शक्तियों को सीमित करने सहित कुछ निर्देश जारी किए थे और आदेश दिया था कि वे उच्च न्यायालयों से पूर्व अनुमति के बिना दंड प्रक्रिया संहिता के तहत सांसदों और विधायकों के खिलाफ मुकदमों को वापस नहीं ले सकते.

न्यायालय ने लंबित मामलों को निपटाने में तेजी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक अन्य महत्वपूर्ण निर्देश में कहा था कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों का अगले आदेशों तक स्थानांतरण नहीं किया जा सकता.

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं अदालत मित्र विजय हंसारिया ने पीठ के समक्ष उल्लेख किया कि देशभर में विशेष अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा की उपलब्धता से जुड़े एक और पहलू पर 10 अगस्त के आदेश में विचार किया जाना चाहिए.

पीठ ने उच्च न्यायालयों के महापंजीयकों को एक खास स्वरूप में विशेष अदालतों के न्यायाधीशों के नाम, तैनाती के स्थान, तबादले की तारीख, मौजूदा पदस्थापना के दौरान निपटाए गए मुकदमों की संख्या, लंबित मुकदमों और उनकी स्थिति से संबंधित सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.

अदालत मित्र ने इन अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा से जुड़ी सूचना चाही जिस पर प्रधान नयायाधीश ने कहा कि हम इसे शामिल करेंगे.

पूर्व के निर्देश के अनुरूप स्थिति रिपोर्ट दायर न करने पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने कहा था कि वह केंद्र और इसकी एजेंसियों को आदेशों के पालन के लिए अंतिम मौका दे रही है. मामले में अगली सुनवाई के लिए इसने 25 अगस्त की तारीख निर्धारित की है.

पीठ अधिवक्ता एवं भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा 2016 में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे मुकदमों को त्वरित गति से निपटाने तथा दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर हमेशा के लिए रोक लगाने का आग्रह किया गया है.
(पीटीआई-भाषा)

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