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कोरोना टीके पर बोला सुप्रीम कोर्ट, टोल-फ्री नंबर की जरूरत नहीं

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Published : Sep 28, 2021, 11:03 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोविड-19 टीकाकरण के पंजीकरण के लिए टोल-फ्री नंबर की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि केंद्र लोगों के लिए बिना पूर्व पंजीकरण के टीका केंद्र पर खुराक लेने की सुविधा पहले ही शुरू कर चुका है.

कोरोना टीका सुप्रीम कोर्ट
कोरोना टीका सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना टीकाकरण को लेकर कहा है कि पंजीकरण कराने के लिए टोल फ्री नंबर की कोई जरूरत नहीं है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि विभूति भूषण मिश्रा द्वारा दाखिल जनहित याचिका में की गई प्रार्थना व्यर्थ हो गई है. निजी तौर पर पेश हुए मिश्रा से पीठ ने कहा, 'आपकी याचिका मई के महीने में दाखिल की गई थी जिसमें कोविड-19 टीकाकरण पंजीकरण के लिए एक टोल-फ्री नंबर स्थापित करने का अनुरोध किया गया था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका दाखिल किए जाने के समय से अब तब काफी प्रगति हुई है और हमारे एक जून के आदेश के बाद सरकार ने टीकाकरण के लिए 'वॉक-इन सुविधा' शुरू की. अब जो लोग पंजीकृत नहीं भी हैं वे इन केंद्रों पर जाकर अपना पंजीकरण कराकर टीका ले सकते हैं. याचिका में की गई प्रार्थना निष्फल हो गई है.'

मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि एक टोल-फ्री नंबर की व्यवस्था होनी चाहिए जिसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पंजीकरण में आने वाली कठिनाई दूर होगी. पीठ ने कहा कि जो लोग कोविन पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं, वे टीकाकरण केंद्रों पर जा सकते हैं और अपना पंजीकरण करा सकते हैं तथा टीके की खुराक ले सकते हैं.

इसी तरह, पीठ ने वकील जी एस मणि की एक याचिका को भी निष्फल करार दिया. इस याचिका में केंद्र और सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को लॉकडाउन अवधि के दौरान हृदय रोगियों, गर्भवती महिलाओं, गुर्दा, यकृत और फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे गैर-कोविड-19 मरीजों का उचित उपचार सुनिश्चित करने के लिए निर्देश का अनुरोध किया गया था.

यह भी पढ़ें- वरिष्ठता का दावा उस तारीख से मान्य नहीं, जब कर्मचारी सेवा में नहीं था : सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने मणि से कहा कि उनकी याचिका इस साल मई में दाखिल की गई थी और अब लॉकडाउन खत्म हो चुका है, ऐसे में उनकी याचिका की उपयोगिता खत्म हो गई है. हालांकि, शीर्ष अदालत ने भविष्य में किसी भी आवश्यकता के मामले में उन्हें अदालत का रुख करने की स्वतंत्रता दी.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना टीकाकरण को लेकर कहा है कि पंजीकरण कराने के लिए टोल फ्री नंबर की कोई जरूरत नहीं है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि विभूति भूषण मिश्रा द्वारा दाखिल जनहित याचिका में की गई प्रार्थना व्यर्थ हो गई है. निजी तौर पर पेश हुए मिश्रा से पीठ ने कहा, 'आपकी याचिका मई के महीने में दाखिल की गई थी जिसमें कोविड-19 टीकाकरण पंजीकरण के लिए एक टोल-फ्री नंबर स्थापित करने का अनुरोध किया गया था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका दाखिल किए जाने के समय से अब तब काफी प्रगति हुई है और हमारे एक जून के आदेश के बाद सरकार ने टीकाकरण के लिए 'वॉक-इन सुविधा' शुरू की. अब जो लोग पंजीकृत नहीं भी हैं वे इन केंद्रों पर जाकर अपना पंजीकरण कराकर टीका ले सकते हैं. याचिका में की गई प्रार्थना निष्फल हो गई है.'

मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि एक टोल-फ्री नंबर की व्यवस्था होनी चाहिए जिसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पंजीकरण में आने वाली कठिनाई दूर होगी. पीठ ने कहा कि जो लोग कोविन पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं, वे टीकाकरण केंद्रों पर जा सकते हैं और अपना पंजीकरण करा सकते हैं तथा टीके की खुराक ले सकते हैं.

इसी तरह, पीठ ने वकील जी एस मणि की एक याचिका को भी निष्फल करार दिया. इस याचिका में केंद्र और सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को लॉकडाउन अवधि के दौरान हृदय रोगियों, गर्भवती महिलाओं, गुर्दा, यकृत और फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे गैर-कोविड-19 मरीजों का उचित उपचार सुनिश्चित करने के लिए निर्देश का अनुरोध किया गया था.

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पीठ ने मणि से कहा कि उनकी याचिका इस साल मई में दाखिल की गई थी और अब लॉकडाउन खत्म हो चुका है, ऐसे में उनकी याचिका की उपयोगिता खत्म हो गई है. हालांकि, शीर्ष अदालत ने भविष्य में किसी भी आवश्यकता के मामले में उन्हें अदालत का रुख करने की स्वतंत्रता दी.

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