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SC ने बंबई उच्च न्यायालय के आवासीय परियोजना संबंधी आदेश के खिलाफ याचिकाओं को खारिज किया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र के उस्मानाबाद की एक आवासीय परियोजना के संबंध में कुछ लोगों द्वारा बाम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 6, 2021, 6:46 AM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में 2009 की एक आवासीय परियोजना के संबंध में कुछ लोगों द्वारा मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया. अदालत के आदेश के कारण योजना में कथित अनियमितताओं के लिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव (justices L Nageswara Rao) और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट (justices S Ravindra Bhat) की पीठ ने न्यायिक रिकॉर्ड और इस तथ्य पर ध्यान दिया कि 'गरीबों के लिए 1200 से अधिक आवास इकाइयों में से, नालदुर्ग नगरपालिका के विभिन्न इलाकों में 302 आवास इकाइयों का निर्माण किया गया था और जिनमें से 202 का उपयोग किया जा सकता हैं और 100 अनुपयोगी और जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं.'

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शीर्ष अदालत ने फैसले में कहा, 'मौजूदा मामले में, गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा करने वाले सबूत मौजूद हैं. सरकार ने संभागीय आयुक्त को 12 जून, 2019 को उनके द्वारा दायर हलफनामे में पुष्टि करने की अनुमति दी कि आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाएगी.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में 2009 की एक आवासीय परियोजना के संबंध में कुछ लोगों द्वारा मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया. अदालत के आदेश के कारण योजना में कथित अनियमितताओं के लिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव (justices L Nageswara Rao) और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट (justices S Ravindra Bhat) की पीठ ने न्यायिक रिकॉर्ड और इस तथ्य पर ध्यान दिया कि 'गरीबों के लिए 1200 से अधिक आवास इकाइयों में से, नालदुर्ग नगरपालिका के विभिन्न इलाकों में 302 आवास इकाइयों का निर्माण किया गया था और जिनमें से 202 का उपयोग किया जा सकता हैं और 100 अनुपयोगी और जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं.'

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शीर्ष अदालत ने फैसले में कहा, 'मौजूदा मामले में, गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा करने वाले सबूत मौजूद हैं. सरकार ने संभागीय आयुक्त को 12 जून, 2019 को उनके द्वारा दायर हलफनामे में पुष्टि करने की अनुमति दी कि आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाएगी.'

(पीटीआई-भाषा)

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