नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री कलिखो पुल के आत्महत्या मामले में सीबीआई जांच की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनने से इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि पुल की पत्नी ने 2017 में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और भारत के राष्ट्रपति को एक प्रतिनिधित्व देने की स्वतंत्रता के साथ मामले को वापस ले लिया था. कोर्ट ने कहा कि मौजूदा याचिकाकर्ता का पुल के साथ कोई संबंधित नहीं है और उसे अन्य उपाय करने चाहिए.
एडवोकेट सिद्धार्थ दवे को अदालत को सूचित किया कि पुल द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में, कई जाने-माने नाम थे और इसलिए अदालत ने राष्ट्रपति के समक्ष एक प्रतिनिधित्व करने को कहा था. हालांकि, प्रतिनिधित्व के बाद भी कुछ नहीं हुआ.
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बागी कांग्रेस नेताओं और भाजपा की मदद से फरवरी 2016 में कलिखो पुल अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि, जुलाई 2016 में, पुल को मुख्यमंत्री के रूप में पद छोड़ना पड़ा जब उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया कि दिसंबर 2015 में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल द्वारा विधानसभा को भंग करने का निर्णय अवैध और शून्य था.
2016 में पुल ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. वह अपने घर में मृत पाए गए थे. उनकी पत्नी ने इस मामले की जांच के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन बाद में याचिका वापस ले ली थी.