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इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन में सरकारी कर्मी नहीं होंगे शामिलः सुप्रीम कोर्ट - सरकार के नुमाइंदों के प्रतिनिधित्व

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि अयोध्या में मस्जिद के लिए बनी इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन में केंद्र या राज्य सरकार का कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा.

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इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन में सरकारी कर्मी नहीं होंगे शामिलः सुप्रीम कोर्ट
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Published : Dec 4, 2020, 12:40 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए गठित कमेटी 'इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन' ट्रस्ट में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

गौरतलब है कि अयोध्या में मस्जिद के लिए बनाए गए ट्रस्ट में सरकारी नमाइंदगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया था कि इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट में सुन्नी मुसलमानों से संबंधित केंद्र और राज्य सरकार के नुमाइंदों के प्रतिनिधित्व के लिए केंद्र सरकार को दिशा निर्देश दिए जाए. पिछले साल अयोध्या के फैसले में मुस्लिमों को आवंटित 5 एकड़ भूमि में मस्जिद के निर्माण के कार्य कराया जाना है.

यह याचिका शिशिर चतुर्वेदी और करुणेश कुमार शुक्ला ने संयुक्त रूप से वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन के माध्यम से दायर की गई थी, जो अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में हिंदू पक्षकारों में से एक के लिए उपस्थित हुए थे.

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट को विभिन्न भारतीयों और विदेशी देशों से दान मिलेगा. ऐसे में सरकार को खुद इसका हिस्सा बनकर प्राप्त होने वाले धन के दुरुपयोग को रोकना चाहिए.

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के समानांतर ही संवेदनशील अयोध्या में शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए धन के उचित प्रबंधन की आवश्यकता है.

यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद के ट्रस्ट में सरकारी नुमाइंदगी को लेकर दायर की गई याचिका

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए गठित कमेटी 'इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन' ट्रस्ट में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

गौरतलब है कि अयोध्या में मस्जिद के लिए बनाए गए ट्रस्ट में सरकारी नमाइंदगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया था कि इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट में सुन्नी मुसलमानों से संबंधित केंद्र और राज्य सरकार के नुमाइंदों के प्रतिनिधित्व के लिए केंद्र सरकार को दिशा निर्देश दिए जाए. पिछले साल अयोध्या के फैसले में मुस्लिमों को आवंटित 5 एकड़ भूमि में मस्जिद के निर्माण के कार्य कराया जाना है.

यह याचिका शिशिर चतुर्वेदी और करुणेश कुमार शुक्ला ने संयुक्त रूप से वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन के माध्यम से दायर की गई थी, जो अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में हिंदू पक्षकारों में से एक के लिए उपस्थित हुए थे.

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट को विभिन्न भारतीयों और विदेशी देशों से दान मिलेगा. ऐसे में सरकार को खुद इसका हिस्सा बनकर प्राप्त होने वाले धन के दुरुपयोग को रोकना चाहिए.

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के समानांतर ही संवेदनशील अयोध्या में शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए धन के उचित प्रबंधन की आवश्यकता है.

यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद के ट्रस्ट में सरकारी नुमाइंदगी को लेकर दायर की गई याचिका

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