नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गुजरात उच्च न्यायालय के 2019 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. चार साल पहले धन के गबन के एक केस में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को अग्रिम जमानत दी गई थी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने दंपति को मामले में जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया. बुधवार को मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ, सीतलवाड, उनके पति और गुजरात पुलिस और सीबीआई के आरोपों के संबंध में एफआईआर से उत्पन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
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Fund misappropriation case: Supreme Court makes protection from arrest to Teesta Setalvad absolute since no chargesheet filed
— Bar & Bench (@barandbench) November 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
report by @AB_Hazardous https://t.co/1uxO1HTN1b
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न्यायमूर्ति कौल ने गुजरात पुलिस और सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू से पूछा कि इस मामले में क्या बचा है? अधिवक्ता स्वाति घिल्डियाल ने भी गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व किया. राजू ने आरोप लगाया कि दंपति जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. पीठ ने एसवी राजू से पूछा कि अभी इस मामले में ऐसा क्या हुआ है कि आपने याचिका दाखिल की है. मुख्य मामले की जांच में क्या हुआ है?
इसके साथ ही एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि 2016 में एक आरोप पत्र दायर किया गया था. 2017 में जमानत नियमित कर दी गई थी. मामले में कुछ भी नहीं बचा है. पीठ ने कहा कि कुछ नियमों और शर्तों पर जमानत देने को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गई थीं और काफी समय बीत चुका है.
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Guj riot victims embezzlement fund case: SC relief for Teesta Setlavad & husband, makes her interim anticipatory bail absolute#SupremeCourt
— United News of India (@uniindianews) November 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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पीठ ने कहा कि हमारे पूछने पर, हमें बताया गया कि आरोपपत्र भी दाखिल नहीं किया गया है. एएसजी का मानना है कि प्रतिवादी की ओर से सहयोग की कमी है और इसीलिए आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया है. पीठ ने कहा कि जो भी हो हम इस स्तर पर हम बस इतना ही कहना चाहेंगे कि प्रतिवादी (सीतलवाड और उनके पति) जब भी आवश्यकता होगी जांच में सहयोग करेंगे.
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता अपर्णा भट्ट ने शीर्ष अदालत के समक्ष सीतलवाड और उनके पति का प्रतिनिधित्व किया. सिब्बल ने शीर्ष अदालत से अग्रिम जमानत को जारी रखने का आग्रह किया. उन्होंने अदालत को बताया कि गुजरात पुलिस ने भी अग्रिम जमानत के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है.
शीर्ष अदालत ने अग्रिम जमानत दिए जाने को चुनौती देने वाली गुजरात पुलिस की याचिका का भी निपटारा कर दिया. एफआईआर के मुताबिक, सीतलवाड और जावेद आनंद एनजीओ सबरंग ट्रस्ट चलाते हैं. जिसे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से 1.4 करोड़ रुपये का फंड मिला था.
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यह आरोप है कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राप्त अनुदान को कार्यकर्ताओं के व्यक्तिगत बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया गया था. इसका उपयोग व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के साथ-साथ 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में गवाहों को भुगतान करने के लिए झूठी गवाही देने के लिए किया गया था. एफआईआर सीतलवाड के पूर्व करीबी सहयोगी रईस खान पठान ने दर्ज कराई थी.