नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अधिवक्ताओं के हड़ताल पर जाने और कार्य बहिष्कार के मुद्दे से निपटने में सक्षम नहीं होने पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की खिंचाई की.
न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि बीसीआई अभी भी उन वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के मानदंड नहीं बना पाया है जो हड़ताल पर जाते हैं और अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचते हैं.
बीसीआई ने राज्य बार काउंसिलों के सुझाव लेने के बाद मामले के संबंध में हलफनामा दायर करने के लिए अदालत से समय मांगा. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि 'आपको इसे गंभीरता से लेना होगा. यदि बार कौंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य इस मामले में अत्यावश्यकता नहीं देख सकते हैं तो हमें एक और निकाय नियुक्त करना होगा...आप जिम्मेदार निकाय हैं, यदि इस प्रकार का कुछ भी होता है तो आपको कार्रवाई करनी चाहिए.'
याचिकाकर्ता, कॉमन कॉज की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि निकाय कुछ भी ठोस नहीं कर पाया है और यह वादियों के अधिकारों को प्रभावित कर रहा है.
कोर्ट ने कहा कि हड़ताल हमारे सिस्टम के लिए एक अभिशाप है और बार काउंसिल अनुशासनात्मक पक्ष से मामले से निपटने में सक्षम नहीं हैं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 17 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी.
गौरतलब है कि नवंबर में एक अन्य खंडपीठ ने पश्चिमी ओडिशा में जिला बार संघों के वकीलों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों और अदालती बहिष्कार पर नाराजगी जताई थी, जो संबलपुर में उड़ीसा उच्च न्यायालय की स्थायी पीठ की मांग कर रहे थे.
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