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छह सप्ताह के भीतर खाली कराएं खोरी-गांव वन भूमि क्षेत्र : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम को खोरी गांव वन भूमि क्षेत्र में अतिक्रमण द्वारा स्थापित घरों को 6 सप्ताह के भीतर ढहाने का निर्देश दिया है.

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Published : Jun 7, 2021, 1:27 PM IST

Updated : Jun 7, 2021, 1:38 PM IST

छह सप्ताह के भीतर खाली कराएं खोरी-गांव वन भूमि क्षेत्र : सुप्रीम कोर्ट
छह सप्ताह के भीतर खाली कराएं खोरी-गांव वन भूमि क्षेत्र : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फरीदाबाद नगर निगम (Municipal corporation) को खोरी गांव (Khori Gaon) के वन भूमि पर अतिक्रमण द्वारा बने घरों को 6 सप्ताह के भीतर ढहाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने साफ कहा है कि इस मामले में किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा. क्षेत्र में करीब 10 हजार घर बने हुए है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फरीदाबाद (Faridabad) के एसपी को निगम अधिकारियों की सुरक्षा प्रदान करने को कहा है. कोर्ट (SC) के आदेश पर अनुपालन करते हुए निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और राज्य वन विभाग के सचिव द्वारा 6 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करना है. और यदि इस अवधि के बाद भी अतिक्रमण पाया जाता है, तो अधिकारियों को कोर्ट की अवमानना के लिए दोषी पाया जाएगा.

कोर्ट ने चेतावनी दी है कि इस बार उसने सचिव को तलब किया है लेकिन अगली बार राज्य के मुख्य सचिव को बुलाया जा सकता है.

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कोर्ट ने स्थानीय निवासियों को भी वन-भूमि खाली न करने के लिए फटकार लगाई और कहा कि उनके पुनर्वास के बारे में तभी विचार किया जाएगा जब वे कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे.

स्थानीय निवासियों की तरफ से पेश वकील ने अदालत में तर्क दिया कि हरियाणा को छोड़कर सभी राज्यों में पहले पुनर्वास की नीति है, इसलिए पहले निवासियों के पुनर्वास पर काम किया जाए. इस तर्क को अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आपको कानून से राहत तभी मिल सकती है, जब आप कानून का पालन करें.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फरीदाबाद नगर निगम (Municipal corporation) को खोरी गांव (Khori Gaon) के वन भूमि पर अतिक्रमण द्वारा बने घरों को 6 सप्ताह के भीतर ढहाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने साफ कहा है कि इस मामले में किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा. क्षेत्र में करीब 10 हजार घर बने हुए है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फरीदाबाद (Faridabad) के एसपी को निगम अधिकारियों की सुरक्षा प्रदान करने को कहा है. कोर्ट (SC) के आदेश पर अनुपालन करते हुए निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और राज्य वन विभाग के सचिव द्वारा 6 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करना है. और यदि इस अवधि के बाद भी अतिक्रमण पाया जाता है, तो अधिकारियों को कोर्ट की अवमानना के लिए दोषी पाया जाएगा.

कोर्ट ने चेतावनी दी है कि इस बार उसने सचिव को तलब किया है लेकिन अगली बार राज्य के मुख्य सचिव को बुलाया जा सकता है.

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कोर्ट ने स्थानीय निवासियों को भी वन-भूमि खाली न करने के लिए फटकार लगाई और कहा कि उनके पुनर्वास के बारे में तभी विचार किया जाएगा जब वे कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे.

स्थानीय निवासियों की तरफ से पेश वकील ने अदालत में तर्क दिया कि हरियाणा को छोड़कर सभी राज्यों में पहले पुनर्वास की नीति है, इसलिए पहले निवासियों के पुनर्वास पर काम किया जाए. इस तर्क को अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आपको कानून से राहत तभी मिल सकती है, जब आप कानून का पालन करें.

Last Updated : Jun 7, 2021, 1:38 PM IST
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