नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम को खोरी गांव के बेदखल निवासियों को एक सप्ताह के भीतर अस्थाई आवंटन देने का निर्देश दिया है. साथ ही शीर्ष अदालत ने निवासियों को लिखित में एक अंडरटेकिंग देने का आदेश दिया है कि यदि वे दो सप्ताह के भीतर पुनर्वास के लिए पात्र नहीं पाए गए तो वे अंतिम जांच पर अस्थायी स्थान खाली कर देंगे.
फरीदाबाद नगर निगम ने इससे पहले खोरी गांव झुग्गियों के विध्वंस से प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए एक आवास नीति उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ हरियाणा के खोरी गांव (फरीदाबाद) में वन भूमि पर बने अवैध घरों के गिराए जाने से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. अदालत ने घरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था और राज्य से बेदखल लोगों के लिए पुनर्वास नीति लाने को कहा था.
हरियाणा सरकार ने मंगलवार को अदालत को सूचित किया कि आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर निर्धारित की गई है, 25 अक्टूबर तक उनकी जांच की जाएगी, 27 अक्टूबर तक सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा, 30 अक्टूबर को ईडब्ल्यूएस का ड्रॉ निकाला जाएगा, एक नवंबर से 2000 रुपये दिए जाएंगे, आवंटन पत्र 15 नवंबर को और फ्लैट्स का अंतिम आवंटन 30 अप्रैल, 2022 को दिया जाएगा.
इस पर कोर्ट ने कहा कि अंतिम आवंटन की तारीख बहुत लंबी है, इसलिए पात्र लोगों को तुरंत कुछ अस्थायी आश्रय प्रदान किया जाना चाहिए. अदालत ने फरीदाबाद नगर निगम की खिंचाई करते हुए कहा कि ये वकील बदलते रहते हैं, पहले किसी ने कुछ और चर्चा की थी और अब रखी गई नीति प्रस्तावित अस्थाई आवंटन से अलग है.
कोर्ट ने कहा कि पहले यह कहा गया था कि संरचना तैयार है और अब 2022 तक का समय मांगा गया है. अदालत ने बिना अनुमति के आयुक्त को बदलने के लिए या अदालत में मामला चल रहा है और काम चल रहा है, यह बताने के लिए शिष्टाचार के लिए निगम की खिंचाई भी की.
हरियाणा सरकार ने अदालत को बताया कि अभी फ्लैट रहने योग्य नहीं हैं क्योंकि काम चल रहा है. राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने कहा कि सरकार इसे 4-5 महीने के बजाय एक से डेढ़ महीने में पूरा करने की कोशिश करेगी.
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वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेज (Colin Gonsalves) ने अदालत से आवेदन जमा करने के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध किया, क्योंकि लोगों को पता नहीं है कि क्या हो रहा है और प्रक्रिया में समय लग सकता है. कोर्ट ने अनुरोध स्वीकार कर लिया और आवेदन की तिथि बढ़ाकर 15 नवंबर कर दी.
अस्थायी आवंटन में स्थानांतरित होने वाले निवासियों को 2000 रुपये नहीं दिए जाएंगे, जो कि राज्य द्वारा किराये के उद्देश्यों के लिए प्रस्तावित किया गया था. मामले की अगली सुनवाई अब 20 सितंबर को होगी.