नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बैंक खातों, बीमा, डाकघर कोष आदि के बारे में सूचना उपलब्ध कराने वाला एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और अन्य से जवाब मांगा. centralised online database.
न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की पीठ ने पत्रकार सुचेता दलाल द्वारा दायर एक याचिका पर वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा अन्य को नोटिस जारी किए. SC notice to Centre . सुचेता की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए.
याचिका के जरिए कानूनी उत्तराधिकारी की हैसियत से बैंक जमा, बीमा, डाकघर कोष आदि के संबंध में किए जाने वाले दावों से निपटने के लिए एक प्रक्रिया बनाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है, ताकि इससे अनावश्यक मुकदमेबाजी को समाप्त किया जा सके.
याचिका में दलील दी गई है कि डिपोजिटर्स एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड के पास मार्च 2021 की समाप्ति पर 39,264.25 करोड़ रुपये का कोष था, जो 31 मार्च 2020 के 33,114 करोड़ से अधिक था तथा मार्च 2019 के अंत से 18,381 करोड़ रुपये की इसमें तीव्र वृद्धि हुई.
याचिका में कहा गया है, 'इन्वेस्टर एजुकेशन प्रोटेक्शन फंड के पास 1999 में 400 करोड़ रुपये थे, जो मार्च 2020 के अंत में 10 गुना अधिक हो गया और यह 4,100 करोड़ रुपये हो गया.' याचिका में कहा गया है कि आरबीआई के नियंत्रण में एक केंद्रीकृत ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करने की तत्काल आवश्यकता है. यह मृतक खाताधारक के बारे में सूचना उपलब्ध कराएगा, जिसमें नाम, पता और मृतक खाता धारक द्वारा किया गया अंतिम लेनदेन का विवरण शामिल होगा.
इसमें कहा गया है, 'बैंकों के लिए यह अनिवार्य होना चाहिए कि वे निष्क्रिय बैंक खातों के बारे में आरबीआई को सूचित करें. यह कार्य नौ से 12 महीने के अंतराल पर दोहराया जाना चाहिए.'
याचिका में कहा गया है, 'मृतक खाताधारक के बारे में सूचना उपलब्ध कराने वाला एक केंद्रीकृत डेटाबेस इसलिए भी अतिआवश्यक हो गया है कि कानूनी उत्तराधिकारियों को किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद वर्तमान में काफी समय लेने वाली और बोझिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.'
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