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ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण से संबंधित याचिका पर केंद्र को नोटिस

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण को समाप्त करने को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई कर केंद्र व अन्य से जवाब मांगा है. अदालत ने नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह की मुहलत दी है.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Sep 15, 2021, 5:07 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Odisha Administrative Tribunal-OAT) को समाप्त करने को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की. इस पर अदालत ने केंद्र और अन्य से जवाब मांगा है. जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिका की सुनवाई की. सुनवाई के बाद पीठ ने कार्मिक, सार्वजनिक शिकायतें एवं पेंशन मंत्रालय, ओडिशा सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर उनसे जवाब मांगा है.

शीर्ष अदालत ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण बार एसोसिएशन द्वारा उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में OAT को निरस्त करने संबंधी केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training) की दो अगस्त, 2019 की अधिसूचना को बरकरार रखा गया था.

पढ़ें : ओडिशा : पंचायत निकायों में 50% आरक्षण सीमित करने का विधेयक पारित

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार के इस दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि OAT ने वादियों को त्वरित न्याय दिलाने के उद्देश्य की पूर्ति नहीं की है. अपील में कहा गया है कि केंद्र ने सामान्य उपनियम अधिनियम, 1897 (जीसीए) की धारा 21 को लागू करके OAT को समाप्त करने की अधिसूचना जारी की थी, जब मूल अधिनियम यानी प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, 1985 (एटी अधिनियम) ने इस तरह की शक्ति के प्रयोग से इनकार किया था.

याचिका में यह भी कहा गया है कि मौजूदा मामले में, केंद्र अप्रत्यक्ष रूप से ऐसा करने के लिए जीसीए की धारा 21 को लागू नहीं कर सकता, जो सीधे एटी अधिनियम के तहत निषिद्ध था, और सरकार के अवैध एवं मनमाने फैसले को बरकरार रखते हुए, ओएटी को खत्म करने का निर्णय निरस्त किया जाना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Odisha Administrative Tribunal-OAT) को समाप्त करने को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की. इस पर अदालत ने केंद्र और अन्य से जवाब मांगा है. जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिका की सुनवाई की. सुनवाई के बाद पीठ ने कार्मिक, सार्वजनिक शिकायतें एवं पेंशन मंत्रालय, ओडिशा सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर उनसे जवाब मांगा है.

शीर्ष अदालत ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण बार एसोसिएशन द्वारा उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में OAT को निरस्त करने संबंधी केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training) की दो अगस्त, 2019 की अधिसूचना को बरकरार रखा गया था.

पढ़ें : ओडिशा : पंचायत निकायों में 50% आरक्षण सीमित करने का विधेयक पारित

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार के इस दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि OAT ने वादियों को त्वरित न्याय दिलाने के उद्देश्य की पूर्ति नहीं की है. अपील में कहा गया है कि केंद्र ने सामान्य उपनियम अधिनियम, 1897 (जीसीए) की धारा 21 को लागू करके OAT को समाप्त करने की अधिसूचना जारी की थी, जब मूल अधिनियम यानी प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, 1985 (एटी अधिनियम) ने इस तरह की शक्ति के प्रयोग से इनकार किया था.

याचिका में यह भी कहा गया है कि मौजूदा मामले में, केंद्र अप्रत्यक्ष रूप से ऐसा करने के लिए जीसीए की धारा 21 को लागू नहीं कर सकता, जो सीधे एटी अधिनियम के तहत निषिद्ध था, और सरकार के अवैध एवं मनमाने फैसले को बरकरार रखते हुए, ओएटी को खत्म करने का निर्णय निरस्त किया जाना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

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