नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने फ्यूचर-रिलायंस समझौते पर यथास्थिति बनाए रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के खिलाफ अमेजन की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) एवं अन्य से जवाब मांगा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष कार्यवाही जारी रहेगी. लेकिन रिलायंस के साथ एफआरएल के विलय पर कोई अंतिम फैसला नहीं होगा. न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन एवं न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड अध्यक्ष किशोर बियानी एवं अन्य के खिलाफ नोटिस जारी कर इस संबंध में उनसे जवाब मांगा. पीठ ने कहा कि अमेजन की याचिका पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दिए जाएं और इसके दो सप्ताह बाद अमेजन की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आठ फरवरी को एफआरएल एवं विभिन्न वैधानिक प्राधिकारियों को रिलायंस रिटेल के साथ हुए 24,713 करोड़ रुपये के समझौते के संबंध में यथास्थिति बरकरार रखने के अपनी एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाई थी.
उच्च न्यायालय की एकल पीठ के दो फरवरी के आदेश के खिलाफ एफआरएल की याचिका पर यह अंतरिम आदेश आया था. उच्च न्यायालय की पीठ ने आदेश पर रोक से संबंधित अमेजन के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था. अमेजन ने उचित समाधान के लिए आदेश पर एक सप्ताह के रोक का अनुरोध किया था. अमेजन ने सबसे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष याचिका दायर कर सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) के आपातकालीन मध्यस्थ (ईए) के 25 अक्टूबर, 2020 के अंतरिम आदेश को लागू करने का अनुरोध किया था. ईए ने रिलायंस के साथ 24,713 करोड़ रुपये के समझौते पर आगे बढ़ने से एफआरएल को रोक दिया था.
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अपने अंतरिम आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा कि वह एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा रही है, क्योंकि अमेजन और फ्यूचर कूपंस प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) के बीच साझा सदस्यता समझौते (एसएसए) में एफआरएल पक्षकार नहीं है. अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी, एफआरएल एवं रिलायंस रिटेल के बीच समझौते में पक्षकार नहीं हैं.