ETV Bharat / bharat

SC Notice To Centre: सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप के अपराधीकरण से जुड़ी याचिकाओं पर केंद्र से मांगा जवाब

मैरिटल रेप के मामले में अपवाद की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर इस पर जवाब मांगा है. सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि इस मुद्दे के सामाजिक प्रभाव होंगे और कुछ महीने पहले उन्होंने राज्यों से इस मामले पर अपने तथ्य साझा करने को कहा था.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jan 16, 2023, 12:00 PM IST

Updated : Jan 16, 2023, 1:23 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मैरिटल रेप के अपराधीकरण (Criminalization of Marital Rape) से संबंधित कई याचिकाओं पर सोमवार को केंद्र को नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्र सरकार से 15 फरवरी तक इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. इन याचिकाओं पर सुनवाई 21 मार्च से शुरू होगी.

जानकारी के मुताबिक, इन याचिकाओं में से एक याचिका इस मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय के विभाजित आदेश के संबंध में दायर की गयी है. यह अपील, दिल्ली उच्च न्यायालय की एक याचिकाकर्ता खुशबू सैफी ने दायर की है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल 11 मई को इस मुद्दे पर विभाजित फैसला दिया था. हालांकि, पीठ में शामिल दोनों न्यायाधीशों न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने इस मामले पर उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति दी थी क्योंकि इसमें कानून से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल शामिल हैं जिन पर उच्चतम न्यायालय द्वारा गौर करने की आवश्यकता है. एक अन्य याचिका कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक व्यक्ति ने दायर की थी जिसके बाद उस पर अपनी पत्नी से कथित तौर पर दुष्कर्म करने का मुकदमा चलाया गया.

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले साल 23 मार्च को कहा था कि अपनी पत्नी के साथ दुष्कर्म तथा आप्राकृतिक यौन संबंध के आरोप से पति को छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) के खिलाफ है. उच्चतम न्यायालय में इस मामले पर कुछ अन्य याचिकाएं भी दायर की गयी है. कुछ याचिकाकर्ताओं ने भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म से छूट की संवैधानिकता को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह उन विवाहित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव है जिनका उनके पति द्वारा यौन शोषण किया जाता है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मैरिटल रेप के अपराधीकरण (Criminalization of Marital Rape) से संबंधित कई याचिकाओं पर सोमवार को केंद्र को नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्र सरकार से 15 फरवरी तक इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. इन याचिकाओं पर सुनवाई 21 मार्च से शुरू होगी.

जानकारी के मुताबिक, इन याचिकाओं में से एक याचिका इस मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय के विभाजित आदेश के संबंध में दायर की गयी है. यह अपील, दिल्ली उच्च न्यायालय की एक याचिकाकर्ता खुशबू सैफी ने दायर की है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल 11 मई को इस मुद्दे पर विभाजित फैसला दिया था. हालांकि, पीठ में शामिल दोनों न्यायाधीशों न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने इस मामले पर उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति दी थी क्योंकि इसमें कानून से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल शामिल हैं जिन पर उच्चतम न्यायालय द्वारा गौर करने की आवश्यकता है. एक अन्य याचिका कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक व्यक्ति ने दायर की थी जिसके बाद उस पर अपनी पत्नी से कथित तौर पर दुष्कर्म करने का मुकदमा चलाया गया.

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले साल 23 मार्च को कहा था कि अपनी पत्नी के साथ दुष्कर्म तथा आप्राकृतिक यौन संबंध के आरोप से पति को छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) के खिलाफ है. उच्चतम न्यायालय में इस मामले पर कुछ अन्य याचिकाएं भी दायर की गयी है. कुछ याचिकाकर्ताओं ने भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म से छूट की संवैधानिकता को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह उन विवाहित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव है जिनका उनके पति द्वारा यौन शोषण किया जाता है.

Last Updated : Jan 16, 2023, 1:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.