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SC ने बिजली कानून की धाराओं को चुनौती देने वाली याचिका पर एजी को जारी किया नोटिस - सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस बिजली अधिनियम की धारा 135 और 145 को चुनौती देने वाली याचिका को लेकर किया गया है.

Supreme Court
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Published : Jul 3, 2021, 4:38 PM IST

नई दिल्ली : मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने बिजली अधिनियम की धारा 135 और 145 के तहत याचिकाकर्ता द्वारा चुनौती दी गई याचिका पर सहायता के लिए अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया है.

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने विद्युत अधिनियम (electricity act) की धारा 135 के साथ पढ़ें जाने वाली धारा 152 के तहत मूल्यांकन को चुनौती देने वाली याचिकाकर्ता द्वारा दायर नियमित द्वितीय अपील को खारिज कर दिया था.

उच्च न्यायालय ने यह अवलोकन किया था कि विद्युत अधिनियम की धारा 145 के तहत एक विशिष्ट बार है जिसके तहत अधिनियम की धारा 126 के तहत आने वाले मामलों के संबंध में वादों/कार्यवाहियों पर विचार करने का सिविल न्यायालय का अधिकार क्षेत्र है.

पढ़ें :- संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से आरंभ होकर 13 अगस्त तक चलेगा

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने एक मुद्दा उठाया कि अधिनियम की धारा 126 और 127 के तहत मूल्यांकन की गई कार्यवाही पर विचार करने के लिए सिविल कोर्ट में धारा 145 के तहत विशिष्ट प्रतिबंध है. हालांकि, बिजली अधिनियम की धारा 135 के तहत चोरी के मामलों में धारा 154 के तहत विशिष्ट प्रावधान है जिसका पालन किया जाना है.

एडवोकेट पुष्पिंदर सिंह द्वारा किए गए सबमिशन पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर अटॉर्नी जनरल की सहायता मांगी है.

नई दिल्ली : मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने बिजली अधिनियम की धारा 135 और 145 के तहत याचिकाकर्ता द्वारा चुनौती दी गई याचिका पर सहायता के लिए अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया है.

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने विद्युत अधिनियम (electricity act) की धारा 135 के साथ पढ़ें जाने वाली धारा 152 के तहत मूल्यांकन को चुनौती देने वाली याचिकाकर्ता द्वारा दायर नियमित द्वितीय अपील को खारिज कर दिया था.

उच्च न्यायालय ने यह अवलोकन किया था कि विद्युत अधिनियम की धारा 145 के तहत एक विशिष्ट बार है जिसके तहत अधिनियम की धारा 126 के तहत आने वाले मामलों के संबंध में वादों/कार्यवाहियों पर विचार करने का सिविल न्यायालय का अधिकार क्षेत्र है.

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याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने एक मुद्दा उठाया कि अधिनियम की धारा 126 और 127 के तहत मूल्यांकन की गई कार्यवाही पर विचार करने के लिए सिविल कोर्ट में धारा 145 के तहत विशिष्ट प्रतिबंध है. हालांकि, बिजली अधिनियम की धारा 135 के तहत चोरी के मामलों में धारा 154 के तहत विशिष्ट प्रावधान है जिसका पालन किया जाना है.

एडवोकेट पुष्पिंदर सिंह द्वारा किए गए सबमिशन पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर अटॉर्नी जनरल की सहायता मांगी है.

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