नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शरद पवार गुट द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अजित पवार के नेतृत्व वाले बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली उनकी याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि अदालत ने स्पीकर से इन याचिकाओं को सूचीबद्ध करने को कहा था. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उद्धव ठाकरे गुट और शरद पवार गुट की याचिकाओं को शुक्रवार को एक साथ सूचीबद्ध करेगी. याचिकाकर्ता जयंत पाटिल (शरद पवार गुट) का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अजीत पवार गुट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी शीर्ष अदालत के सामने पेश हुए.
रोहतगी ने कहा कि अयोग्यता याचिकाएं सितंबर में ही दायर की गईं और याचिकाकर्ता ने जल्द ही शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया. सिब्बल ने कहा कि याचिकाएं जुलाई में ही दायर की गई थीं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह इस मामले को शिवसेना मामले के साथ सूचीबद्ध करेंगे. रोहतगी ने कहा कि दोनों मामलों में तथ्य अलग-अलग हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई तेज कर दी और स्पीकर से एक सप्ताह के भीतर मामले को अदालत के समक्ष सूचीबद्ध कराएं. साथ ही अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए एक समय निर्धारित करने को कहा. शीर्ष अदालत ने कहा कि स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का पालन करना होगा और उसके फैसले को चार महीने बीत चुके हैं.
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अदालत ने स्पीकर राहुल नार्वेकर को एकनाथ शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों के बारे में फैसला करने के लिए कहा था. इन नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप था.सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को शिवसेना (यूबीटी) विधायक सुनील प्रभु की याचिका पर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी किया. इसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी.