नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के यवतमाल में बाघिन मारने के मामले में नोटिस जारी किया है. 2018 में रालेगांव में बाघिन अवनि को 13 लोगों की हत्या करने के आरोप में मार दिया गया था.
सीजेआई बोबडे की आगुवाई वाली पीठ वन्यजीव कार्यकर्ता संगीता डोगरा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. संगीता डोगरा ने अवनी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट ओर डीएनए रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिका में कहा है कि बाघिन आदमखोर नहीं थी.
उनका कहना है कि जब अवनि को मारा गया उसके पेट में केवल तरल पदार्थ था. अगर उसने इंसानों को खाया होता तो उसके पेट में उनके नाखून, दांत, बाल, मांस और अन्य चीजें जरूर मिलतीं.
सीजेआई ने कहा कि मांस तो पच जाएगा. साथ ही यह रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा कि क्या नाखून, बाल, दांत आंत में छह महीने तक रह सकते हैं. मामले में सीजेआई ने याचिकाकर्ता को सभी आवश्यक दस्तावेज अदालत में दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया.
निशानेबाज की मदद से मारा था अवनि को
साल 2016 से 2018 के बीच बाघिन अवनी पर वन विभाग ने रालेगांव में 13 लोगों की हत्या का आरोप लगाया था. वन विभाग ने उसे मारने के लिए निशानेबाज शफात अली खान की मदद ली थी.
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मामले को लेकर जब सवाल उठने लगे तो जांच समिति बनाई गई. राज्य ने इस संबंध में जो समिति बनाई और डीएनए विश्लेषक अवनि की वजह से केवल 6 मौतें दिखा सके. कई पर्यावरणविदों ने उसे गलत तरीके से गोली मारने का आरोप लगाते हुए मामले की जांच की मांग की थी.