नई दिल्ली : विदेशों से एमबीबीएस की डिग्री लेकर आए भारतीय डॉक्टरों को कोविड काल में अपनी चिकित्सा सेवा देने की इजाजत देने के लिए दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोटिस जारी किया. जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ को आज बताया गया कि याचिकाकर्ता चिकित्सा संघ भारत की स्वास्थ्य देखभाल में विदेशी स्नातकों को शामिल करना चाहते हैं और चाहते हैं कि उन्हें वह सुविधाएं दी जाएं जो भारत में एमबीबीएस डिग्री धारकों को प्रदान की जाती हैं.
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि परीक्षाएं कराई जा रही हैं. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर स्क्रीनिंग एग्जाम कराए जा रहे हैं तो फिर इन लोगों को परीक्षा में बैठना चाहिए. हम इन्हें परीक्षा में ना बैठने की छूट नहीं दे सकते हैं. दरअसल, याचिका में मांग की गई थी कि जिन छात्रों ने एमबीबीएस की पढ़ाई विदेश से की है और लॉकडाउन के चलते इंटर्नशिप नहीं कर पाए हैं उनको एक बार परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए.
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याचिका में कहा गया था कि देश में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप है. ऐसे में इन लोगों को इंटर्नशिप करने दी जाए ताकि ये लोग इस संकट भरी घड़ी में देश की सेवा कर सकें. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम स्क्रीनिंग टेस्ट से इन लोगों को छूट नहीं दे सकते. हमने नहीं पता इन लोगों ने किस देश से पढ़ाई की है और क्या पढ़ाई की है. मामले पर 2 सप्ताह बाद फिर से सुनवाई होगी.