नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की उस याचिका पर विचार करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया, जिसमें एक नाबालिग मुस्लिम लड़की के अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकने संबंधी पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है. न्यायमूर्ति एस.के. कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने नोटिस जारी किया तथा वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव को अदालत की सहायता के लिए विषय में न्याय मित्र नियुक्त किया. पीठ ने कहा, 'इस विषय पर विचार किये जाने की जरूरत है.'
एनसीपीसीआर की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि यह एक गंभीर मुद्दा है और फैसले में किये गये अवलोकन पर रोक लगाने की मांग की. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह मुद्दे पर विचार करेगा और विषय की सुनवाई को सात नवंबर के लिए निर्धारित कर दिया. उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश की पीठ ने 13 जून को पठानकोट (पठानकोट) की एक मुस्लिम दंपती की याचिका पर आदेश जारी किया था. दंपती ने सुरक्षा की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था.
उच्च न्यायालय ने कहा था कि मामले में विचारार्थ मुद्दे विवाह की वैधता के बारे में नहीं हैं, बल्कि याचिकाकर्ताओं के जीवन और स्वतंत्रता के खतरे की आशंका को लेकर उनके द्वारा जताई गई आशंका से जुड़ा हुए हैं. इसने पठानकोट के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को याचिकाकर्ताओं के प्रतिनिधित्व पर फैसला करने और कानून के मुताबिक आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.
उच्च न्यायालय ने कहा था, 'अदालत इस तथ्य के प्रति अपनी आंखें नहीं मूंद सकती कि याचिकाकर्ताओं की आशंकाओं को दूर करने की जरूरत है. महज इसलिए कि याचिकाकर्ताओं ने अपने-अपने परिवार के सदस्यों की मर्जी के बगैर विवाह किया, उन्हें संविधान में प्रदत्त मूल अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता.'