नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जब देश में कोरोना महामारी चरम पर है तो ऐसे समय देश की सबसे बड़ी अदालत को इस तरह दखल नहीं देना चाहिए था. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इस संकट के बीच में माननीय उच्चतम न्यायालय के लिए 22 अप्रैल को दखल देने की कोई जरूरत नहीं थी. दुर्भाग्यवश यह गलत है.
सिंघवी ने कहा कि यह इसलिए सही नहीं है क्योंकि यह स्वत: संज्ञान का कदम नहीं बल्कि उच्च न्यायालय के आदेशों की प्रतिक्रिया में उठाया गया कदम है. उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है क्योंकि इस वक्त केंद्रीकरण नहीं बल्कि विकेंद्रीकरण की जरूरत है. यह सही नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने वह नहीं किया जो कई हाईकोर्ट खासकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोगों को ऑक्सीजन के विषय में राहत देने के लिए रात में नौ बजे किया था.
वरिष्ठ वकील सिंघवी ने दावा किया कि यह (दखल देना) सही नहीं है क्योंकि उच्चतम न्यायालय इसमें सक्षम नहीं है कि वह स्थानीय मुद्दों, स्थानीय सुविधाओं से जुड़े विषयों का निटपटारा कर सके. यह सही नहीं है क्योंकि स्थानीय मुद्दों को एकरुपता की कसौटी पर निवारण नहीं हो सकता. उन्होंने यह दावा भी किया कि उच्चतम न्यायालय के इस हस्तक्षेप से केंद्र सरकार को समर्थन मिलता है जो कोरोना संकट से निपटने में विफल रही है.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि वह ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं व महामारी के खिलाफ टीकाकरण के तरीके समेत अन्य मुद्दों पर राष्ट्रीय योजना चाहता है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि वह उच्च न्यायालयों में लंबित कुछ मुद्दों को वापस ले सकती है और खुद उनसे निपटेगी. हालांकि पीठ ने इन न्यायालयों में लंबित मामलों की न तो सुनवाई पर रोक लगाई और न ही इन मामलों को अपने पास स्थानांतरित किया.
सिंघवी ने कोरोना की दूसरी लहर आने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि यह सरकार पिछले कई महीनों से क्या कर रही थी? उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और कुछ अन्य राज्यों में आंकड़ों को छिपाया जा रहा है तथा जांच की संख्या भी कम की जा रही है.
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कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि रोजाना कोरोना के मामले बढ़ रहे थे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने ज्यादा समय पश्चिम बंगाल में क्यों गुजारा?उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने कोरोना संकट से निपटने को लेकर कोई ठोस बात नहीं की.