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Supreme Court News : SC ने NCP नेता की लोकसभा सदस्यता की बहाली के खिलाफ याचिकाकर्ता वकील पर लगाया 1 लाख रुपये का जुर्माना

एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता बहाल करने के फैसले को चुनौती देने का मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वकील अशोक पांडे की याचिका पर जुर्माना लगाकर खारिज कर द‍िया है. सुप्रीम कोर्ट ने वकील अशोक पांडे की याच‍िका पर 1 लाख का जुर्माना लगाया है. (Supreme Court News, NCP leader Mohammed Faizal)

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 20, 2023, 5:20 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता मोहम्मद फैजल (NCP leader Mohammed Faizal) की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती देने वाली एक वकील की याचिका खारिज कर दी. साथ ही कोर्ट ने वकील अशोक पांडे की याचिका पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. वकील अशोक पांडे ने न्यायमूर्ति बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि एक बार एक सांसद किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण अपना पद खो देता है, तो वे तब तक अयोग्य रहेंगे जब तक कि उन्हें हाई कोर्ट द्वारा बरी नहीं कर दिया जाता.

पीठ में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और प्रशांत कुमार मिश्रा भी शामिल थे. मामले में कोर्ट ने वकील से पूछा कि वह एक तुच्छ याचिका क्यों दायर कर रहे हैं. वहीं संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद पीठ ने याचिका खारिज कर दी और वकील पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. इससे पहले 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने लक्षद्वीप के अयोग्य सांसद मोहम्मद फैज़ल की सजा को निलंबित करने से इनकार करने वाले केरल हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने फैज़ल की लोकसभा सदस्यता की बहाली का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि उसके द्वारा पहले दी गई दोषसिद्धि के निलंबन का लाभ जारी रहेगा.

इस साल जनवरी में एक ट्रायल कोर्ट ने 2009 के आम चुनाव के दौरान दिवंगत केंद्रीय मंत्री पीएम सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की हत्या के प्रयास के लिए फैज़ल और तीन अन्य को सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने राकांपा विधायक की सजा को निलंबित करने की याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा था कि चुनाव प्रक्रिया का अपराधीकरण भारत की लोकतांत्रिक राजनीति में गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था वहीं हाई कोर्ट ने 25 जनवरी को उनकी दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया था. दूसरी तरफ लक्षद्वीप प्रशासन ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. हाई कोर्ट के 3 अक्टूबर के आदेश के बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

इसी कड़ी में 13 अक्टूबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने एक वकील अशोक पांडे पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. क्योंकि वह बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय को पुनः पदवी देने का आदेश मांग रहे थे. वहीं एक आदेश में पीठ ने कहा था कि समय आ गया है जब अदालत को ऐसी तुच्छ जनहित याचिकाओं पर अनुकरणीय जुर्माना लगाना चाहिए. इस वजह से 5 लाख रुपये की कॉस्ट के साथ याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को चार सप्ताह की अवधि के अंदर कोर्ट में राशि जमा करने के लिए कहा. साथ ही कहा कि यह इस अवधि के अंदर लागत जमा नहीं की जाती है तो उसे लखनऊ में कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से भू-राजस्व के बकाया के रूप में एकत्र किया जाएगा.

ये भी पढ़ें - Compensation Sanitation Workers: सीवर सफाई के दौरान मरने वालों के परिजनों को मिलेगा ₹30 लाख का मुआवजा- SC

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता मोहम्मद फैजल (NCP leader Mohammed Faizal) की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती देने वाली एक वकील की याचिका खारिज कर दी. साथ ही कोर्ट ने वकील अशोक पांडे की याचिका पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. वकील अशोक पांडे ने न्यायमूर्ति बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि एक बार एक सांसद किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण अपना पद खो देता है, तो वे तब तक अयोग्य रहेंगे जब तक कि उन्हें हाई कोर्ट द्वारा बरी नहीं कर दिया जाता.

पीठ में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और प्रशांत कुमार मिश्रा भी शामिल थे. मामले में कोर्ट ने वकील से पूछा कि वह एक तुच्छ याचिका क्यों दायर कर रहे हैं. वहीं संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद पीठ ने याचिका खारिज कर दी और वकील पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. इससे पहले 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने लक्षद्वीप के अयोग्य सांसद मोहम्मद फैज़ल की सजा को निलंबित करने से इनकार करने वाले केरल हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने फैज़ल की लोकसभा सदस्यता की बहाली का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि उसके द्वारा पहले दी गई दोषसिद्धि के निलंबन का लाभ जारी रहेगा.

इस साल जनवरी में एक ट्रायल कोर्ट ने 2009 के आम चुनाव के दौरान दिवंगत केंद्रीय मंत्री पीएम सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की हत्या के प्रयास के लिए फैज़ल और तीन अन्य को सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने राकांपा विधायक की सजा को निलंबित करने की याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा था कि चुनाव प्रक्रिया का अपराधीकरण भारत की लोकतांत्रिक राजनीति में गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था वहीं हाई कोर्ट ने 25 जनवरी को उनकी दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया था. दूसरी तरफ लक्षद्वीप प्रशासन ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. हाई कोर्ट के 3 अक्टूबर के आदेश के बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

इसी कड़ी में 13 अक्टूबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने एक वकील अशोक पांडे पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. क्योंकि वह बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय को पुनः पदवी देने का आदेश मांग रहे थे. वहीं एक आदेश में पीठ ने कहा था कि समय आ गया है जब अदालत को ऐसी तुच्छ जनहित याचिकाओं पर अनुकरणीय जुर्माना लगाना चाहिए. इस वजह से 5 लाख रुपये की कॉस्ट के साथ याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को चार सप्ताह की अवधि के अंदर कोर्ट में राशि जमा करने के लिए कहा. साथ ही कहा कि यह इस अवधि के अंदर लागत जमा नहीं की जाती है तो उसे लखनऊ में कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से भू-राजस्व के बकाया के रूप में एकत्र किया जाएगा.

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