नई दिल्ली : कर्नाटक सरकार ने हिजाब संबंधी अपने आदेश को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में 'धर्म निरपेक्ष' बताया. राज्य सरकार ने अपने आदेश का जोरदार बचाव करते हुए पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को विवाद के लिए दोषी ठहराते हुए दावा किया कि यह एक 'बड़ी साजिश' का हिस्सा था. उन्होंने कहा कि पीएफआई ने हिजाब पहनने के लिए भड़काया है.
राज्य सरकार ने जोर दिया कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने के समर्थन में आंदोलन कुछ लोगों व्यक्तियों द्वारा 'स्वतःस्फूर्त' नहीं था और अगर उसने उस तरह से काम नहीं किया होता तो वह 'संवैधानिक कर्तव्य की अवहेलना' की दोषी होती. कर्नाटक सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि पीएफआई ने सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू किया था जिसका मकसद 'लोगों की धार्मिक भावनाओं' के आधार पर आंदोलन शुरू करना था.
पीएफआई को व्यापक रूप से एक कट्टर मुस्लिम संगठन माना जाता है और सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाओं के लिए उस पर दोषारोपण किया गया है। हालांकि संगठन ने लगाए गए आरोपों को खारिज किया है.
मेहता ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ से कहा कि पीएफआई ने इस साल की शुरुआत में हिजाब को लेकर सोशल मीडिया में अभियान शुरू किया था और लगातार सोशल मीडिया संदेश भेजे जा रहे थे जिनमें छात्राओं से 'हिजाब पहनने' के लिए कहा जा रहा था. उन्होंने कहा कि 2022 में, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नामक एक संगठन द्वारा सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू किया गया था और इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई तथा बाद में आरोपपत्र भी दाखिल किया गया.
उच्चतम न्यायालय कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुन रही थी जिसमें राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया गया था. मेहता ने कहा, 'यह कुछ बच्चों का स्वतःस्फूर्त कार्य नहीं है कि हम हिजाब पहनना चाहते हैं. वे एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे और बच्चे दी गई सलाह के अनुसार काम कर रहे थे.' उन्होंने कहा कि पिछले साल तक कर्नाटक के स्कूलों में किसी भी छात्रा ने हिजाब नहीं पहना था.
राज्य सरकार के पांच फरवरी 2022 के आदेश का जिक्र करते हुए मेहता ने कहा कि यह कहना उचित नहीं होगा कि इसमें केवल हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है और इसलिए किसी एक धर्म ही को निशाना बनाता है. उन्होंने कहा, 'एक और आयाम है जिसे किसी ने आपके संज्ञान में नहीं लाया. मैं अतिशयोक्ति नहीं करूंगा यदि मैं कहूं कि अगर सरकार ने उस तरह से काम नहीं किया होता, तो सरकार संवैधानिक कर्तव्य की अवहेलना की दोषी होती.'
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि आजादी के 75 साल बाद राज्य सरकार ने ऐसा प्रतिबंध क्यों लगाया. उन्होंने कहा, 'इसकी क्या आवश्यकता थी? यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं पेश किया गया है कि परिपत्र किसी भी उचित कारण या किसी औचित्य पर आधारित था. यह अचानक व चौंकाने वाला था.'
दवे ने कहा, 'अचानक आप तय करते हैं कि इस तरह का प्रतिबंध लगाएंगे. मैं ऐसा क्यों कहता हूं... पिछले कुछ साल में, कर्नाटक में अल्पसंख्यक समुदाय को लक्षित कार्रवाई की एक श्रृंखला है.'
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#WATCH | Bengaluru, Karnataka: Former PM Indira Gandhi used to wear a 'pallu', even the President of India wears a pallu, this is culture of India. Is that 'ghoonghat' a conspiracy by PFI? Whether it's hijab or pallu, it's the same: JD(S) state president CM Ibrahim pic.twitter.com/tiODmV3ll1
— ANI (@ANI) September 20, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) September 20, 2022#WATCH | Bengaluru, Karnataka: Former PM Indira Gandhi used to wear a 'pallu', even the President of India wears a pallu, this is culture of India. Is that 'ghoonghat' a conspiracy by PFI? Whether it's hijab or pallu, it's the same: JD(S) state president CM Ibrahim pic.twitter.com/tiODmV3ll1
— ANI (@ANI) September 20, 2022
जेडीएस ने कहा- सिर पर पल्लू डालना, दुपट्टा डालना भारत की संस्कृति : उधर, हिजाब को पीएफआई की साजिश बताने को लेकर कर्नाटक जद (एस) के प्रदेश अध्यक्ष सीएम इब्राहिम ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी 'पल्लू' डालती थीं, यहां तक कि भारत की राष्ट्रपति के सिर पर भी पल्लू, यह भारत की संस्कृति है. क्या वह 'घूंघट' PFI की साजिश है? हिजाब हो या पल्लू, एक ही है.