श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (National Conference Vice President Omar Abdullah) ने बुधवार को कहा कि अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई संविधान की कसौटी है. उमर ने मीडियाकर्मियों से कहा, 'सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 पर सुनवाई संविधान की परीक्षा है.' उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि संविधान और कानून को बरकरार रखा जाए. यह संविधान की मजबूती की परीक्षा है.'
धारा 370 के संबंध में उन्होंने कहा कि कि सुप्रीम कोर्ट में जिस तरह से कपिल सिब्बल ने नेशनल कॉन्फ्रेंस की याचिका की पैरवी की और आज गोपाल सुब्रमण्यम जिस तरह से बोल रहे हैं उससे साफ है कि जम्मू-कश्मीर के साथ जो हुआ वह असंवैधानिक और गैरकानूनी था. हम चाहेंगे कि संविधान और कानून को बरकरार रखा जाए. यह संविधान की मजबूती की परीक्षा है. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कोर्ट के सामने दलीलें मजबूती से पेश की गई हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है. सरकार का जवाब कितना मजबूत होगा? मामले पर सुनवाई जारी रहने दीजिए, उसके बाद हम चर्चा कर सकते हैं कि किसकी दलीलें ज्यादा मजबूत थीं. मैं तो यही कहूंगा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का यह निर्णय कि कपिल सिब्बल और गोपाल सुब्रमण्यम को हमारी दो याचिकाओं का प्रतिनिधित्व करना चाहिए, सबसे अच्छा निर्णय था.'
एक सवाल के जवाब में उमर ने कहा कि जब भी चुनाव होंगे, हम हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि हमने यह भी सुना है कि वे यहां नगर निगम चुनाव कराने के मूड में नहीं हैं क्योंकि वे डरे हुए हैं,श्रीनगर में कम और जम्मू में ज़्यादा. जम्मू में कांग्रेस को ताकत मिली है और जैसा कि आपने देखा होगा कि वहां डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी और आम आदमी पार्टी का क्या हाल हुआ. मुझे लगता है कि इससे भाजपा के लोग और अधिक परेशान हो गए होंगे. लेकिन अगर चुनाव की घोषणा होती है तो नेशनल कॉन्फ्रेंस इसमें हिस्सा लेगी. शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के भारत में शामिल होने के फैसले के संबंध में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'शेर कश्मीर (शेख मुहम्मद अब्दुल्ला) के फैसले का परीक्षण नहीं किया जा रहा है, यह संविधान का परीक्षण है.'
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