नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को तमिलनाडु में मार्च निकालने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को सोमवार को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की अपील खारिज कर दी. जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि सभी विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज की जाती हैं. शीर्ष अदालत ने 27 मार्च को मद्रास उच्च न्यायालय के 10 फरवरी के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. उस याचिका में आरएसएस को राज्य में मार्च निकालने की अनुमति के खिलाफ अपील की गई थी.
तमिलनाडु सरकार ने 3 मार्च को शीर्ष अदालत को बताया था कि वह राज्य भर में आरएसएस के रूट मार्च और जनसभाओं की अनुमति देने के पूरी तरह से विरोध में नहीं है. लेकिन खुफिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि ये हर गली या इलाके में आयोजित नहीं किए जा सकते हैं. 10 फरवरी को, मद्रास उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 22 सितंबर, 2022 के उस आदेश को बहाल रखा था जिसमें तमिलनाडु पुलिस को आरएसएस के प्रतिनिधित्व पर विचार करने और बिना शर्तों के कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने का निर्देश दिया गया था.
पढ़ें : RSS को मार्च निकालने की अनुमति देने के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु की याचिका पर फैसला सुरक्षित
मद्रास हाई कोर्ट ने 4 नवंबर, 2022 को उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया था, जिसने प्रस्तावित राज्यव्यापी रूट मार्च पर शर्तें लगाई गयी थीं. शर्तों के अनुसार आरएसएस को घर के अंदर या बंद स्थान पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया था. एकल न्यायाधीश पीठ ने आरएसएस को रूट मार्च/शांतिपूर्ण जुलूस आयोजित करने के उद्देश्य से अपनी पसंद की तीन अलग-अलग तारीखों के साथ राज्य के अधिकारियों से संपर्क करने का निर्देश दिया था.
राज्य के अधिकारियों को चुनी हुई तिथियों में से एक पर उन्हें अनुमति देने के लिए कहा गया था. साथ ही, आरएसएस को सख्त अनुशासन सुनिश्चित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि मार्च के दौरान उनकी ओर से कोई उकसावे की बात न हो.
पढ़ें :RSS March: RSS मार्च के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की अपील पर SC 3 मार्च को करेगा सुनवाई
(पीटीआई)