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छत्तीसगढ़ : निलंबित IPS जीपी सिंह पर गिरफ्तारी की तलवार, SC ने खारिज की याचिका

छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस जीपी सिंह को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

Suspended IPS GP Singh
निलंबित IPS जीपी सिंह (फाइल फोटो)
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Published : Jan 3, 2022, 6:32 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के निलंबित सीनियर IPS जीपी सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. चीफ जस्टिस ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी है. जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में गिरफ्तारी पर रोक और जांच पर स्टे ना मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. जीपी की तरफ से सीनियर एडवोकेट यूआर ललित ने पैरवी की. वकीलों की टीम में दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज भी शामिल थी. वहीं सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी ने पैरवी की. लेकिन सीजेआई ने मुकुल रोहतगी को सुने बिना याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद जीपी सिंह के पास अब सरेंडर के अलावा कोई चारा नहीं बचा है. क्योंकि हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी उनकी याचिका खारिज हो गई है.

छापे के बाद दर्ज हुए थे जीपी पर मामले

EOW और ACB ने जीपी सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले पर 1 जुलाई की सुबह 6 बजे छापा मारा था. इस दौरान राजनांदगांव, ओडिशा समेत 15 अन्य ठिकानों पर एक साथ एसीबी की टीम ने छापामार कार्रवाई की थी. करीब 68 घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान 10 करोड़ से अधिक की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले के पीछे गटर से कई अहम दस्तावेज मिले थे. इन्हीं को राजद्रोह का साक्ष्य माना गया था. छापे से मिली संपत्ति के आधार पर उन पर ACB ने भ्रष्टाचार के मामले में FIR दर्ज करवाई. जिसके आधार पर शासन ने 5 जुलाई को उन्हें सस्पेंड किया. उसके बाद 8 जुलाई की रात जीपी सिंह के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ कोतवाली थाने में राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया.

पुलिस ने कोर्ट में जीपी के खिलाफ 400 पन्ने का चालान पेश किया

आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह के मामले में फंसे निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के खिलाफ कोतवाली पुलिस 19 अगस्त को बिना गिरफ्तारी के कोर्ट पहुंच गई थी. न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी न्यायाधीश ओम प्रकाश साहू की अदालत में उस दिन पुलिस ने 400 पन्नों का चालान पेश किया था. कोर्ट में पेश किए गए चालान में पुलिस ने दावा किया था कि आईपीएस के रायपुर स्थित सरकारी बंगले में प्रदेश के सभी विधानसभाओं की सर्वे रिपोर्ट मिली है. जिसमें कौन से विधानसभा क्षेत्र में सरकार की क्या स्थिति और किस विधानसभा क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लोगों में नफरत कैसे पैदा की जा सकती है.

ये भी पढ़ें - NCB में खत्म हुआ वानखेड़े का कार्यकाल, DG-DRI को करेंगे रिपोर्ट

जीपी ने छापे के दौरान 12 पन्ने फाड़कर फेंक दिए थे

निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के घर एसीबी ने 1 जुलाई को छापा मारा था. चालान में पुलिस ने दावा किया है कि बंगले से 46 पन्ने और डायरी मिले हैं. जिसमें ज्यादार पन्नों में जाति और समुदाय का जिक्र किया गया है. जिसमें कैसे एक दूसरे को आपस मे उलझाया जाए इसका जिक्र है. इसके अलावा जीपी सिंह ने छापे के दौरान मिले दस्तावेजों में से 12 पन्नों को गटर में फेंक दिया. जीपी को दस्तावेज फेंकते हुए एसीबी के दो कर्मचारियों ने देख लिया था. वे तुरंत पीछे गए और गटर से दस्तावेज निकाले. सभी दस्तावेज फटे हुए मिले. जिसे पुलिस ने एक-एक टुकड़े को पढ़ने लायक बनाया. उसमें आम जनता को भड़काने के बारे में लिखा था.

विभिन्न धर्मों व जातियों में घृणा भड़काने का आरोप

पुलिस के द्वारा कोर्ट में पेश किए गए चालान में लिखा है कि जीपी सिंह के बंगले से मिले दस्तावेज और डायरियों में विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच घृणा व शत्रुता फैलाने के आरोप हैं. इसके साथ ही उन पर अपने करीबियों के माध्यम से शत्रुता, घृणा, वैमनस्य और नफरत भी फैलाने के आरोप हैं. जिस पर पुलिस ने निलंबित अफसर जीपी सिंह के खिलाफ धारा 505 (2) को अतिरिक्त जोड़ा है. कहा जा रहा है कि इस मामले में भी जीपी सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.

1994 बैच के अफसर हैं जीपी सिंह

एफआईआर दर्ज होने के बाद जीपी सिंह ने हाईकोर्ट की शरण ली है. जीपी सिंह ने रिट याचिका दायर करते हुए पूरे मामले में स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की है. मामले की जांच शुरू होने तक राज्य के पुलिस की जांच पर भी रोक लगाने की मांग की थी. जीपी सिंह भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के अधिकारी रहे हैं. वह राज्य पुलिस अकादमी के निर्देशक थे. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एसीबी के प्रमुख भी रहे थे. राज्य सरकार ने उन्हें पिछले वर्ष जून माह में हटा दिया था.

जीपी पर ऐसे हुई थी कार्रवाई

  • 1 जुलाई की सुबह 6:00 बजे जीपी के सरकारी बंगले पर छापा .
  • राजनांदगांव, भिलाई, ओडिशा समेत 15 ठिकानों पर करीब 68 घंटे लगातार चली कार्रवाई .
  • 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले से कई अहम दस्तावेज मिले .
  • 5 जुलाई को EOW ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई.
  • FIR के बाद देर रात शासन ने 5 जुलाई को जीपी को सस्पेंड किया .
  • 8 जुलाई को जीपी के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया .
  • 9 जुलाई को जीपी में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसमें सीबीआई जांच की मांग की थी
  • जीपी की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने पिछले दिनों कई ठिकानों में छापे मारे .
  • इसके बाद पूछताछ के लिए थाने आकर बयान दर्ज कराने तीन बार नोटिस जारी किया .
  • उसके बाद कोतवाली पुलिस ने रायपुर कोर्ट में 19 अगस्त को 400 पन्नों का चालान पेश किया.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के निलंबित सीनियर IPS जीपी सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. चीफ जस्टिस ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी है. जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में गिरफ्तारी पर रोक और जांच पर स्टे ना मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. जीपी की तरफ से सीनियर एडवोकेट यूआर ललित ने पैरवी की. वकीलों की टीम में दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज भी शामिल थी. वहीं सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी ने पैरवी की. लेकिन सीजेआई ने मुकुल रोहतगी को सुने बिना याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद जीपी सिंह के पास अब सरेंडर के अलावा कोई चारा नहीं बचा है. क्योंकि हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी उनकी याचिका खारिज हो गई है.

छापे के बाद दर्ज हुए थे जीपी पर मामले

EOW और ACB ने जीपी सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले पर 1 जुलाई की सुबह 6 बजे छापा मारा था. इस दौरान राजनांदगांव, ओडिशा समेत 15 अन्य ठिकानों पर एक साथ एसीबी की टीम ने छापामार कार्रवाई की थी. करीब 68 घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान 10 करोड़ से अधिक की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले के पीछे गटर से कई अहम दस्तावेज मिले थे. इन्हीं को राजद्रोह का साक्ष्य माना गया था. छापे से मिली संपत्ति के आधार पर उन पर ACB ने भ्रष्टाचार के मामले में FIR दर्ज करवाई. जिसके आधार पर शासन ने 5 जुलाई को उन्हें सस्पेंड किया. उसके बाद 8 जुलाई की रात जीपी सिंह के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ कोतवाली थाने में राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया.

पुलिस ने कोर्ट में जीपी के खिलाफ 400 पन्ने का चालान पेश किया

आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह के मामले में फंसे निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के खिलाफ कोतवाली पुलिस 19 अगस्त को बिना गिरफ्तारी के कोर्ट पहुंच गई थी. न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी न्यायाधीश ओम प्रकाश साहू की अदालत में उस दिन पुलिस ने 400 पन्नों का चालान पेश किया था. कोर्ट में पेश किए गए चालान में पुलिस ने दावा किया था कि आईपीएस के रायपुर स्थित सरकारी बंगले में प्रदेश के सभी विधानसभाओं की सर्वे रिपोर्ट मिली है. जिसमें कौन से विधानसभा क्षेत्र में सरकार की क्या स्थिति और किस विधानसभा क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लोगों में नफरत कैसे पैदा की जा सकती है.

ये भी पढ़ें - NCB में खत्म हुआ वानखेड़े का कार्यकाल, DG-DRI को करेंगे रिपोर्ट

जीपी ने छापे के दौरान 12 पन्ने फाड़कर फेंक दिए थे

निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के घर एसीबी ने 1 जुलाई को छापा मारा था. चालान में पुलिस ने दावा किया है कि बंगले से 46 पन्ने और डायरी मिले हैं. जिसमें ज्यादार पन्नों में जाति और समुदाय का जिक्र किया गया है. जिसमें कैसे एक दूसरे को आपस मे उलझाया जाए इसका जिक्र है. इसके अलावा जीपी सिंह ने छापे के दौरान मिले दस्तावेजों में से 12 पन्नों को गटर में फेंक दिया. जीपी को दस्तावेज फेंकते हुए एसीबी के दो कर्मचारियों ने देख लिया था. वे तुरंत पीछे गए और गटर से दस्तावेज निकाले. सभी दस्तावेज फटे हुए मिले. जिसे पुलिस ने एक-एक टुकड़े को पढ़ने लायक बनाया. उसमें आम जनता को भड़काने के बारे में लिखा था.

विभिन्न धर्मों व जातियों में घृणा भड़काने का आरोप

पुलिस के द्वारा कोर्ट में पेश किए गए चालान में लिखा है कि जीपी सिंह के बंगले से मिले दस्तावेज और डायरियों में विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच घृणा व शत्रुता फैलाने के आरोप हैं. इसके साथ ही उन पर अपने करीबियों के माध्यम से शत्रुता, घृणा, वैमनस्य और नफरत भी फैलाने के आरोप हैं. जिस पर पुलिस ने निलंबित अफसर जीपी सिंह के खिलाफ धारा 505 (2) को अतिरिक्त जोड़ा है. कहा जा रहा है कि इस मामले में भी जीपी सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.

1994 बैच के अफसर हैं जीपी सिंह

एफआईआर दर्ज होने के बाद जीपी सिंह ने हाईकोर्ट की शरण ली है. जीपी सिंह ने रिट याचिका दायर करते हुए पूरे मामले में स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की है. मामले की जांच शुरू होने तक राज्य के पुलिस की जांच पर भी रोक लगाने की मांग की थी. जीपी सिंह भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के अधिकारी रहे हैं. वह राज्य पुलिस अकादमी के निर्देशक थे. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एसीबी के प्रमुख भी रहे थे. राज्य सरकार ने उन्हें पिछले वर्ष जून माह में हटा दिया था.

जीपी पर ऐसे हुई थी कार्रवाई

  • 1 जुलाई की सुबह 6:00 बजे जीपी के सरकारी बंगले पर छापा .
  • राजनांदगांव, भिलाई, ओडिशा समेत 15 ठिकानों पर करीब 68 घंटे लगातार चली कार्रवाई .
  • 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले से कई अहम दस्तावेज मिले .
  • 5 जुलाई को EOW ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई.
  • FIR के बाद देर रात शासन ने 5 जुलाई को जीपी को सस्पेंड किया .
  • 8 जुलाई को जीपी के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया .
  • 9 जुलाई को जीपी में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसमें सीबीआई जांच की मांग की थी
  • जीपी की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने पिछले दिनों कई ठिकानों में छापे मारे .
  • इसके बाद पूछताछ के लिए थाने आकर बयान दर्ज कराने तीन बार नोटिस जारी किया .
  • उसके बाद कोतवाली पुलिस ने रायपुर कोर्ट में 19 अगस्त को 400 पन्नों का चालान पेश किया.
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