नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि त्रिपुरा सरकार की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि किसी भी राजनीतिक दल को शांतिपूर्ण तरीके से प्रचार करने से रोका नहीं जाए. त्रिपुरा सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करे.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने 25 नवंबर को होने वाले नगर निकाय चुनाव के मद्देनजर अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस और राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया.
अदालत ने त्रिपुरा पुलिस को प्रत्येक मामले और क्षेत्र के संबंध में खतरे की धारणा के संबंध में निर्णय लेने, उचित कार्रवाई करने और सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया. याचिकाकर्ताओं ने 22 अक्टूबर, 2021 को उनके खिलाफ हुई हिंसा का हवाला दिया था जब पार्टी की एक टीम सार्वजनिक संपर्क के लिए गई थी. उन्होंने कहा कि हालांकि आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई.
अदालत ने कहा, 'चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है लेकिन प्रथम याचिकाकर्ता (एआईटीसी) के प्रतिनिधियों को वास्तविक और धमकी भरी हिंसा के परिणामस्वरूप चुनावी अभियान के अधिकार से रोका गया है.'
आदेश में याचिकाकर्ताओं द्वारा एक दस्तावेज का भी उल्लेख किया गया है जिसमें कहा गया है कि अगरतला में बैठक करने की अनुमति इसलिए नहीं दी गई कि फिर से हिंसा की स्थिति पैदा हो सकती है.
डीजीपी-गृह सचिव से रिपोर्ट तलब की
कोर्ट ने डीजीपी और गृह सचिव को आदेश के अनुपालन में उठाए गए कदमों का विवरण देने के लिए एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने त्रिपुरा में 'स्वतंत्र और निष्पक्ष' चुनाव सुनिश्चित करने के लिए हलफनामा मांगा है. दो हफ्ते बाद मामले की फिर सुनवाई होगी.
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