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जमानत पर चल रहे कैदियों को आत्मसमर्पण करने के लिए सुप्रीम आदेश जारी - जमानत पर चल रहे कैदियों को आत्म समर्पण करने का सुप्रीम आदेश जारी

उच्चतम न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालयों द्वारा जमानत पाने वाले 2,674 कैदियों को 15 दिनों के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया है. यह निर्णय कोविड-19 महामारी की स्थिति में सुधार को देखते हुए लिया गया है.

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Published : Mar 1, 2021, 3:24 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति रवींद्र भट की पीठ ने जेल सुधार से संबंधित मामले में फैसला दिया है. अदालत ने कहा कि कोविड-19 की स्थिति में सुधार हो रहा है, इसलिए कैदियों को अब आत्मसमर्पण कर देना चाहिए. कोर्ट ने एमिकस क्यूरी को जेलों में भीड़भाड़ पर एक रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है.

कोर्ट ने जेलों की भीड़भाड़ पर सूओमोटो केस में पूछा कि जेल में कैदियों की एक निश्चित कैटेगिरी जारी की जाए, क्योंकि जेलों में अधिक भीड़ है. साथ ही जेलों में कोविड के प्रकोप का खतरा है. प्रत्येक राज्य में उच्चाधिकार प्राप्त समिति को यह तय करना है कि जेलों के कैटेगिरी को कैसे जारी किया जाएगा. इस सिफारिश के आधार पर ही इन 2674 कैदियों को रिहा किया गया था.

यह भी पढ़ें-PM नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी वैक्सीन लगाकर विपक्ष के मुंह पर मारा तमाचा: भाजपा सांसद रवि किशन

बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन कैदियों को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. आदेश को चुनौती देते हुए जेल सुधार पर राष्ट्रीय मंच नामक एक गैर सरकारी संगठन ने प्रतिक्रिया देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. जिसमें अदालत ने कैदियों के आत्मसमर्पण आदेश पर रोक लगा दी थी. सोमवार को कोर्ट ने कोविड-19 में सुधार के मद्देनजर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति रवींद्र भट की पीठ ने जेल सुधार से संबंधित मामले में फैसला दिया है. अदालत ने कहा कि कोविड-19 की स्थिति में सुधार हो रहा है, इसलिए कैदियों को अब आत्मसमर्पण कर देना चाहिए. कोर्ट ने एमिकस क्यूरी को जेलों में भीड़भाड़ पर एक रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है.

कोर्ट ने जेलों की भीड़भाड़ पर सूओमोटो केस में पूछा कि जेल में कैदियों की एक निश्चित कैटेगिरी जारी की जाए, क्योंकि जेलों में अधिक भीड़ है. साथ ही जेलों में कोविड के प्रकोप का खतरा है. प्रत्येक राज्य में उच्चाधिकार प्राप्त समिति को यह तय करना है कि जेलों के कैटेगिरी को कैसे जारी किया जाएगा. इस सिफारिश के आधार पर ही इन 2674 कैदियों को रिहा किया गया था.

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बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन कैदियों को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. आदेश को चुनौती देते हुए जेल सुधार पर राष्ट्रीय मंच नामक एक गैर सरकारी संगठन ने प्रतिक्रिया देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. जिसमें अदालत ने कैदियों के आत्मसमर्पण आदेश पर रोक लगा दी थी. सोमवार को कोर्ट ने कोविड-19 में सुधार के मद्देनजर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है.

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