नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (Film and Television Institute of India- FTII) को बिना किसी भेदभाव के संस्थान के सभी कोर्स में कलर ब्लाइंडनेस वाले छात्रों को दाखिले की अनुमति (colour blindness people's enrolment) देने का (sc directs ftii) निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि फिल्म बनाना एक कला है (film making art) और इस कला को पाने में आने वाली बाधा को दूर किया जा सकता है.
जानकारी के मुताबिक, FTII में फिल्म संपादन में तीन वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम (PG Diploma in Film Editing) में दाखिले के लिए एक आवेदन को बंबई उच्च न्यायालय ने खारिज करने का आदेश दिया था. कलर ब्लाइंडनेस छात्र ने इसे चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. इस याचिका की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की पीठ ने की.
अदालत ने कहा कि ऐसे उम्मीदवारों के लिए भविष्य में नौकरी की संभावनाओं को निर्धारित करना FTII का काम नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में अधिक समावेशी और प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए. अन्य फिल्म और टेलीविजन संस्थानों को भी कलर ब्लाइंड छात्रों के लिए अपने दरवाजे खोलने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि कलर ब्लाइंडनेस वाले छात्रों को दाखिला देने की अनुमित के आदेश से संस्थान की आजादी खत्म नहीं होगी, बल्कि उन्हें आगे भी इन प्रयासों को जारी रखने का मौका मिलता है.
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बता दें कि भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करता है. सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत यह संस्थान पंजीकृत है. FTII फिल्म और टेलीविजन की दुनिया के अग्रणी स्कूलों के संगठन, सिनेमा और टेलीविजन स्कूलों के अंतर्राष्ट्रीय संपर्क केंद्र (CILECT) का सदस्य है.