नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना (Chief Justice of India N V Ramana) की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के 'कॉलेजियम' ने केंद्र सरकार से कलकत्ता उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति कौशिक चंदा (Justice Kaushik Chanda) को स्थायी न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करने की सिफारिश की है.
न्यायमूर्ति चंदा ने सात जुलाई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नंदीग्राम विधानसभा चुनाव को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. इस याचिका में भारतीय जनता पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी के नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचन को चुनौती दी गई थी.
न्यायमूर्ति चंदा से खुद को सुनवाई से अलग करने का अनुरोध करते हुए मुख्यमंत्री के वकील ने दावा किया था कि न्यायाधीश, 2015 में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बनने से पहले भाजपा के सक्रिय सदस्य थे और क्योंकि भाजपा के एक उम्मीदवार के निर्वाचन को चुनौती दी गई थी इसलिए चुनाव याचिका के संबंध में निर्णय देने में पक्षपात का अंदेशा था. न्यायमूर्ति चंदा ने कहा था कि वह कभी भाजपा विधिक प्रकोष्ठ के समन्वयक नहीं रहे लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष पार्टी की ओर से वकील के तौर पर पेश हुए थे.
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तीन सदस्यीय कॉलेजियम जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश रमना (Chief Justice of India N V Ramana), न्यायमूर्ति यू यू ललित (justices U U Lalit) और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर (justices A M Khanwilka) शामिल हैं, ने न्यायमूर्ति चंदा को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसके बाद न्यामूर्ति चंदा का 2036 तक कार्यकाल होगा.
शीर्ष न्यायालय द्वारा इस बारे में जारी एक बयान में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की 17 अगस्त 2021 को हुई एक बैठक में न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है.
(पीटीआई-भाषा)