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सूचना आयोग में रिक्त पदों को भरने की स्थिति पर SC ने मांगी रिपोर्ट - SC ने मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को चार सप्ताह के भीतर सूचना आयुक्तों (Information Commissioners) की रिक्तियों के संबंध में अपडेट स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jul 7, 2021, 3:32 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र तथा राज्यों को सूचना के अधिकार कानून के तहत एसआईसी की राज्य समितियों और सीआईसी में सूचना आयुक्त के पदों पर समय सीमा के तहत नियुक्तियां करने के 2019 के उसके आदेश के अनुपालन पर बुधवार को स्थिति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर (Justice Abdul Nazeer) की अध्यक्षता वाली पीठ को आज बताया गया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के पास लंबे समय से कई टीके हैं और अब दूसरी कोविड लहर (second covid wave) भी खत्म हो गई है.

बार-बार निर्देश के बावजूद अभी भी रिक्तियां हैं. इतना ही नहीं उन्होंने जो किया है वह काफी चौंकाने वाला है. याचिकाकर्ता के वकील अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने तर्क दिया कि सरकार को अदालत के समक्ष स्थिति को रिकॉर्ड में पेश करना चाहिए था.

उन्होंने अदालत को बताया कि कुछ पत्रकार हैं, जिन्हें सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया है और उन्होंने यूनियन से पूछा कि क्या करना है. 'मूल रूप से पार्टी के पत्रकार को सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था.'

पढ़ें - राज्य की जमीनें कार्यपालिका की ‘पैतृक संपत्ति’ है? अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा

केंद्र ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि कोई आरोप नहीं लगा सकता या पत्रकारों को फर्जी नहीं कह सकता.

कोर्ट अब एक महीने बाद मामले की फिर से सुनवाई करेगा और तब तक हलफनामा (affidavits ) दाखिल करना होगा.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र तथा राज्यों को सूचना के अधिकार कानून के तहत एसआईसी की राज्य समितियों और सीआईसी में सूचना आयुक्त के पदों पर समय सीमा के तहत नियुक्तियां करने के 2019 के उसके आदेश के अनुपालन पर बुधवार को स्थिति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर (Justice Abdul Nazeer) की अध्यक्षता वाली पीठ को आज बताया गया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के पास लंबे समय से कई टीके हैं और अब दूसरी कोविड लहर (second covid wave) भी खत्म हो गई है.

बार-बार निर्देश के बावजूद अभी भी रिक्तियां हैं. इतना ही नहीं उन्होंने जो किया है वह काफी चौंकाने वाला है. याचिकाकर्ता के वकील अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने तर्क दिया कि सरकार को अदालत के समक्ष स्थिति को रिकॉर्ड में पेश करना चाहिए था.

उन्होंने अदालत को बताया कि कुछ पत्रकार हैं, जिन्हें सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया है और उन्होंने यूनियन से पूछा कि क्या करना है. 'मूल रूप से पार्टी के पत्रकार को सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था.'

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केंद्र ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि कोई आरोप नहीं लगा सकता या पत्रकारों को फर्जी नहीं कह सकता.

कोर्ट अब एक महीने बाद मामले की फिर से सुनवाई करेगा और तब तक हलफनामा (affidavits ) दाखिल करना होगा.

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