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राज्य कैदियों की रिहाई के मानदंडों की जानकारी दें : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कोरोना काल में रिहा किए गए कैदियों की रिहाई के मानदंडों की जानकारी देने के लिए कहा है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 16, 2021, 3:14 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को एक हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कहा है जिसमें यह बताने के लिए कहा गया है कि कोविड के समय में कैदियों को रिहा करने में उनके (राज्यों) द्वारा किन मानदंडों का पालन किया गया है और यह बताने के लिए भी कहा गया है कि क्या कैदियों को रिहा करने के लिए उम्र और सह रुग्णता को भी एक कारक के रूप में लिया गया है.

सीजेआई एनवी रमना की पीठ ने देखा कि हर राज्य में उच्चाधिकार प्राप्त समितियों के गठन के आदेश पारित किए थे जो जेलों में कोविड 19 के प्रसार को रोकने के लिए कैदियों के एक विशेष मानदंड को जारी करने पर विचार कर सकते थे. लेकिन किन मानदंडों का पालन किया गया है, कैदियों को किस मापदंड से रिहा किया गया है, यह ज्ञात नहीं है. इसके अलावा कैदियों को रिहा करने के लिए सार्वभौमिक दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया है.

अदालत ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण और राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव को मानदंड से संबंधित सभी मुद्दों को स्पष्ट करते हुए पांच दिनों के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

पढ़ें :- 13 कैदियों की रिहाई की याचिका पर SC ने यूपी सरकार से मांगा जवाब

पहले से ही रिहा किए गए कैदियों के लिए, अदालत ने कहा कि राज्य उन्हें वापस या अगले आदेश तक आत्मसमर्पण करने के लिए ना कहें.

इस मामले पर अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को एक हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कहा है जिसमें यह बताने के लिए कहा गया है कि कोविड के समय में कैदियों को रिहा करने में उनके (राज्यों) द्वारा किन मानदंडों का पालन किया गया है और यह बताने के लिए भी कहा गया है कि क्या कैदियों को रिहा करने के लिए उम्र और सह रुग्णता को भी एक कारक के रूप में लिया गया है.

सीजेआई एनवी रमना की पीठ ने देखा कि हर राज्य में उच्चाधिकार प्राप्त समितियों के गठन के आदेश पारित किए थे जो जेलों में कोविड 19 के प्रसार को रोकने के लिए कैदियों के एक विशेष मानदंड को जारी करने पर विचार कर सकते थे. लेकिन किन मानदंडों का पालन किया गया है, कैदियों को किस मापदंड से रिहा किया गया है, यह ज्ञात नहीं है. इसके अलावा कैदियों को रिहा करने के लिए सार्वभौमिक दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया है.

अदालत ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण और राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव को मानदंड से संबंधित सभी मुद्दों को स्पष्ट करते हुए पांच दिनों के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

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पहले से ही रिहा किए गए कैदियों के लिए, अदालत ने कहा कि राज्य उन्हें वापस या अगले आदेश तक आत्मसमर्पण करने के लिए ना कहें.

इस मामले पर अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी.

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