नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पंजाब सरकार से कहा कि वह 1991 में जूनियर इंजीनियर बलवंत सिंह मुल्तानी के लापता होने और हत्या के मामले में पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सैनी के खिलाफ दर्ज नयी प्राथमिकी में दायर आरोप पत्र रिकार्ड पर लायें.
शीर्ष अदालत 1991 में मुल्तानी के लापता होने और हत्या के मामले में दर्ज नयी प्राथमिकी के मामले में सैनी को पहले ही अग्रिम जमानत दे चुकी है.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने निचली अदालत से कहा कि वह इस मामले में 22 जनवरी को होने वाली सुनवाई स्थगित करे क्योंकि शीर्ष अदालत इस मामले में विचार कर रही है.
पीठ इस मामले में मई, 2020 में दर्ज नयी प्राथमिकी रद्द करने के लिये सैनी की याचिका पर सुनवाई कर रही है.
पीठ ने कहा, 'पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम आरोप पत्र और अतिरिक्त दस्तावेज रिकार्ड पर लाने के लिये समय चाहते हैं. वह दो सप्ताह में ऐसा कर सकते हैं. याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि इस मामले को फरवरी के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध किया जाये.'
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के अधिवक्ता ने उसे सूचित किया है कि याचिकाकर्ता (सैनी) की पेशी के लिये मजिस्ट्रेट की अदालत में यह मामला 22 जनवरी, 2021 के लिये सूचीबद्ध है.
पीठ ने कहा, 'इस तथ्य के मद्देनजर कि हम इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, मजिस्ट्रेट के लिये उचित होगा कि वह इसे फरवरी, 2021 के अंत तक के लिये स्थगित कर दें.'
इससे पहले, पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम ने पीठ से कहा कि इस मामले में अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है और सैनी को 22 जनवरी को पेश होने के लिये सम्मन जारी किये जा चुके हैं.
उन्होंने कहा कि चूंकि इस मामले में लंबी सुनवाई की आवश्यकता है, इसलिए सैनी को अदालत में पेश होकर आरोप पत्र ले लेना चाहिए.
सैनी की ओर से वरिष्ठ अधिक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि जब शीर्ष अदालत में प्राथमिकी की वैधता पर निर्णय लिया जाना है तो ऐसी स्थिति में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जा सकता.
उन्होंने निचली अदालत में आरोप पत्र पर कार्यवाही पर रोक लगाने और पंजाब सरकार को आरोप पत्र शीर्ष अदालत में पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया.
रोहतगी ने कहा कि सैनी को निचली अदालत में पेश होने के लिये नहीं कहा जा सकता है. इसलिए उन्हें अपने वकील के माध्यम से 22 जनवरी को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की अनुमति दी जाये.
रोहतगी ने कहा कि इस मामले को विस्तृत सुनवाई के लिये फरवरी में सूचीबद्ध किया जा सकता है.
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शीर्ष अदालत ने पिछले साल तीन दिसंबर को सुमेध सिंह सैनी को इस मामले में अग्रिम जमानत प्रदान करते हुये 29 साल पुराने इस मामले में पूर्व पुलिस महानिदेशक को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इंकार करने संबंधी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया था.
शीर्ष अदालत ने पंजाब पुलिस को निर्देश दिया था कि एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही धनराशि के दो जमानती बॉन्ड भरने पर उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया जाये.
न्यायालय ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में 30 साल के विलंब पर पंजाब सरकार से सवाल किये थे और कहा कि निश्चित ही यह अग्रिम जमानत का वैध मामला है.
न्यायालय ने इस तथ्य का भी जिक्र किया था कि 1991 में बलवंत सिंह मुल्तानी के गायब होने के मामले में जालंधर में रहने वाले उसके रिश्तेदार पलविन्दर सिंह मुल्तानी की शिकायत पर सैनी और छह अन्य के खिलाफ छह मई, 2020 को यह प्राथमिकी दर्ज की गयी है.