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Article 370 Abrogation : SC में सुनवाई जारी, दिनेश द्विवेदी ने सरकार के फैसले के पक्ष में रखे तर्क

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Published : Aug 22, 2023, 4:00 PM IST

सीनियर एडवोकेट दिनेश द्विवेदी ने इस पीठ को संबोधित किया कि स्टैंडस्टिल समझौता अन्य राज्यों के विपरीत परिग्रहण (IOA) के साधन के लिए एक पूर्व शर्त था. कश्मीर का परिग्रहण इस शर्त पर आधारित था कि वह अपनी आंतरिक संप्रभुता को बनाए रखेगा और भारत के संविधान से बाध्य नहीं होगा. पढ़ें पूरी खबर...

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जम्मू और कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 5 से पता चलता है कि भारतीय संविधान जम्मू और कश्मीर पर लागू होगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचुड़ की अध्यक्षता में जस्टिस एस के कौल, संजीव खन्ना, बी आर गवई और सूर्य कांत की एक संविधान पीठ जम्मू और कश्मीर धारा 370 हटाने के मामले की सुनवाई कर रही है.

सीनियर एडवोकेट दिनेश द्विवेदी, याचिकाकर्ता प्रेम शंकर झा का प्रतिनिधित्व करते हुए, पांच-न्यायाधीशों की बेंच के सामने आज अपने तर्क रखे. कश्मीर का परिग्रहण इस शर्त पर आधारित था कि वह अपनी आंतरिक संप्रभुता को बनाए रखेगा और भारत के संविधान से बाध्य नहीं होगा. कश्मीर के परिग्रहण की अनूठी प्रकृति पर ध्यान देते हुए, द्विवेदी ने कहा कि हमारा मूल विषय यह है कि कश्मीर अलग था. कश्मीर भारत के प्रभुत्व के लिए परिग्रहण के मामले में दोनों अलग थे.

उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर के परिग्रहण के समय शर्तें यह थी कि यह भारत के संविधान या किसी अन्य भविष्य के संविधान से बाध्य नहीं था. यह कि इसकी आंतरिक संप्रभुता हमेशा शासक के साथ रहेगी. केवल इसलिए कि कश्मीर ने बाहरी संप्रभुता का हवाला दिया था, इसका मतलब यह नहीं है कि आंतरिक संप्रभुता को भी उद्धृत किया गया था. द्विवेदी ने बेंच को संबोधित किया कि संप्रभुता एक परिवर्तनशील अवधारणा है और इसमें दो घटक हैं - आंतरिक और बाहरी संप्रभुता.

द्विवेदी ने कोर्ट के सामने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 1 में जम्मू -कश्मीर के समावेश का मतलब यह नहीं है कि जम्मू -कश्मीर की आंतरिक संप्रभुता को समाप्त कर दिया गया था. उनका कहना है कि 1957 में जम्मू और कश्मीर के संविधान को एक बार संचालित करने के साथ ही अनुच्छेद 370 स्थगित हो गया.

द्विवेदी ने डॉ. गोपालस्वामी अय्यंगर द्वारा संविधान विधानसभा बहस का संदर्भ दिया. उन्होंने कहा कि यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि जम्मू और कश्मीर के संविधान के लागू होने तक अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी. द्विवेदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 की एक 'अस्थायी प्रावधान' के रूप में व्याख्या करनी होगी.

मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि जम्मू -कश्मीर संविधान में कौन सा प्रावधान है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 245 के बराबर है? द्विवेदी ने कहा कि जम्मू और कश्मीर संविधान की 3, 4 और 5. न्यायमूर्ति चंद्रचुड़ ने कहा कि जम्मू -कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 5 का कहना है कि राज्य की कार्यकारी और विधायी शक्ति उन सभी मामलों तक फैली हुई है, जिनके संबंध में संसद के पास भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति है. उन्होंने कहा कि यह बताता है कि भारतीय संविधान जम्मू और कश्मीर पर लागू होता है.

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जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला देते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि यदि अनुच्छेद 370 हटाया जाता है तो संसद की शक्ति की सीमा कहां होगी ? शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि भारतीय संविधान में कोई प्रावधान नहीं हैं, जो जम्मू और कश्मीर के लिए इसकी प्रयोज्यता को रोकता है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जम्मू और कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 5 से पता चलता है कि भारतीय संविधान जम्मू और कश्मीर पर लागू होगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचुड़ की अध्यक्षता में जस्टिस एस के कौल, संजीव खन्ना, बी आर गवई और सूर्य कांत की एक संविधान पीठ जम्मू और कश्मीर धारा 370 हटाने के मामले की सुनवाई कर रही है.

सीनियर एडवोकेट दिनेश द्विवेदी, याचिकाकर्ता प्रेम शंकर झा का प्रतिनिधित्व करते हुए, पांच-न्यायाधीशों की बेंच के सामने आज अपने तर्क रखे. कश्मीर का परिग्रहण इस शर्त पर आधारित था कि वह अपनी आंतरिक संप्रभुता को बनाए रखेगा और भारत के संविधान से बाध्य नहीं होगा. कश्मीर के परिग्रहण की अनूठी प्रकृति पर ध्यान देते हुए, द्विवेदी ने कहा कि हमारा मूल विषय यह है कि कश्मीर अलग था. कश्मीर भारत के प्रभुत्व के लिए परिग्रहण के मामले में दोनों अलग थे.

उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर के परिग्रहण के समय शर्तें यह थी कि यह भारत के संविधान या किसी अन्य भविष्य के संविधान से बाध्य नहीं था. यह कि इसकी आंतरिक संप्रभुता हमेशा शासक के साथ रहेगी. केवल इसलिए कि कश्मीर ने बाहरी संप्रभुता का हवाला दिया था, इसका मतलब यह नहीं है कि आंतरिक संप्रभुता को भी उद्धृत किया गया था. द्विवेदी ने बेंच को संबोधित किया कि संप्रभुता एक परिवर्तनशील अवधारणा है और इसमें दो घटक हैं - आंतरिक और बाहरी संप्रभुता.

द्विवेदी ने कोर्ट के सामने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 1 में जम्मू -कश्मीर के समावेश का मतलब यह नहीं है कि जम्मू -कश्मीर की आंतरिक संप्रभुता को समाप्त कर दिया गया था. उनका कहना है कि 1957 में जम्मू और कश्मीर के संविधान को एक बार संचालित करने के साथ ही अनुच्छेद 370 स्थगित हो गया.

द्विवेदी ने डॉ. गोपालस्वामी अय्यंगर द्वारा संविधान विधानसभा बहस का संदर्भ दिया. उन्होंने कहा कि यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि जम्मू और कश्मीर के संविधान के लागू होने तक अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी. द्विवेदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 की एक 'अस्थायी प्रावधान' के रूप में व्याख्या करनी होगी.

मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि जम्मू -कश्मीर संविधान में कौन सा प्रावधान है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 245 के बराबर है? द्विवेदी ने कहा कि जम्मू और कश्मीर संविधान की 3, 4 और 5. न्यायमूर्ति चंद्रचुड़ ने कहा कि जम्मू -कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 5 का कहना है कि राज्य की कार्यकारी और विधायी शक्ति उन सभी मामलों तक फैली हुई है, जिनके संबंध में संसद के पास भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति है. उन्होंने कहा कि यह बताता है कि भारतीय संविधान जम्मू और कश्मीर पर लागू होता है.

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जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला देते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि यदि अनुच्छेद 370 हटाया जाता है तो संसद की शक्ति की सीमा कहां होगी ? शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि भारतीय संविधान में कोई प्रावधान नहीं हैं, जो जम्मू और कश्मीर के लिए इसकी प्रयोज्यता को रोकता है.

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