कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal government) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने ऑपइंडिया में प्रकाशित कुछ रिपोर्टों और तस्वीरों के लिए ऑपइंडिया की संपादक (FIRs registered against OpIndia editor) नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को वापस लेने का फैसला किया है. इसमें मई, 2020 के टेलीनीपारा सांप्रदायिक दंगों के लेकर प्रकाशित रिपोर्ट भी शामिल है.
न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश (Justice SK Kaul and Justice MM Sundresh) की पीठ को नुपुर शर्मा द्वारा याचिका की सुनवाई कर रही थी. बता दें कि नुपुर शर्मा ने पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा अपने खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही से राहत के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था.
अदालत ने आज पश्चिम बंगाल के इस कदम की सराहना की और कहा कि उसे उम्मीद है कि अन्य राज्य भी इसी तरह का अनुसरण करेंगे.
अदालत ने विभिन्न मत रखने वाले लोगों के बीच सहिष्णुता के घटते स्तर पर चिंता व्यक्त की और कहा कि अब समय आ गया है कि वे और राजनीतिक वर्ग आत्मनिरीक्षण करें.
कोर्ट ने कहा कि यह अन्य राज्यों के लिए भी अलग-अलग विचारों वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही (proceedings against people with different views) शुरू करने से परहेज करने की शुरुआत हो सकती है.
पत्रकार ने जून 2020 में शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी, तब पश्चिम बंगाल सरकार ने उन पर धारा 153 ए (धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) और 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए बयान) का आरोप लगाया था.
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इसके बाद कोर्ट ने एफआईआर और जांच पर रोक लगा दी थी. बाद में राज्य द्वारा एक और प्राथमिकी भी दर्ज की गई उसने भी जांच पर रोक लगा दी है.
नूपुर शर्मा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि राज्य पत्रकारों को डराने के लिए अपने अधिकार और शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए लगातार पीछा कर रहा है.
ऑपइंडिया ने तर्क दिया कि उसके द्वारा प्रकाशित कई लेख अन्य मीडिया पोर्टलों पर आधारित थे, लेकिन केवल उसके सदस्यों को ही निशाना बनाया गया था.