नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक अनुबंध समझौते के विवाद को सुलझाने के लिए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई को एकमात्र मध्यस्थ नियुक्त किया है. जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने एमसीएम सर्विस प्राइवेट लिमिटेड बनाम इटालिया थाई डेवलपमेंट पब्लिक कंपनी लिमिटेड के एक मामले में यह निर्देश दिए हैं.
बेंच ने कहा कि पार्टियों की सहमति से हम अनुबंध के समझौते पर विवाद को हल करने के लिए एकमात्र मध्यस्थ के रूप में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को नियुक्त करते हैं. आदेश में कहा कि नई दिल्ली में मध्यस्थता की सीट के साथ मुंबई सेंटर फॉर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन द्वारा मध्यस्थता की कार्यवाही की जाएगी.
अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद सुलझाया
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने के बाद 19 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त हुए. अपने कार्यकाल के दौरान और बाद में भी उनके साथ बहुत से विवाद जुड़े रहे हैं. उन्होंने न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति चमलेश्वर के साथ मिलकर तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा पर बेंच फिक्सिंग के आरोप लगाए और प्रेस कॉन्फ्रेंस तक की थी. बाद में अदालत की कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न के मामले में उन्हें अभियुक्त बनाया गया, जिसमें शीर्ष अदालत ने उन्हें क्लीन चिट दे दी. हालांकि उस महिला को जिसने आरोप लगाए थे, उसे अदालत ने बहाल कर दिया. आरोपी ने गोगोई को दी गई क्लीन चिट पर संदेह जताया है. उनके द्वारा अयोध्या फैसला हिंदुओं के पक्ष में देने की भी आलोचना की गई थी. बाद में उनकी सेवानिवृत्ति के 4 महीने के भीतर ही राज्यसभा सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति पर भी काफी बवाल मचा था.
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उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की, जिसमें राफेल विमान से लेकर अनुच्छेद 370 को खत्म करने और का राष्ट्रीय रजिस्टर जैसे मामले शामिल हैं.