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SC ने विदेशी तबलीगियों को बॉन्ड भर स्वदेश वापसी की अनुमति दी - आरोपियों की ब्लैक लिस्टिंग

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की एक खंडपीठ ने तबलीगी जमात के एक समूह की उस याचिका पर सुनवाई की, जो गृह मंत्रालय द्वारा आरोपियों की ब्लैक लिस्टिंग, भारत में रोके जाने और वीजा जब्ती के खिलाफ दायर की गई थी.

Supreme Court t
उच्चतम न्यायालय
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Published : Jan 13, 2021, 8:04 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने तबलीगी जमात की घटना में अभियुक्त विदेशियों को आज उनके घर (विदेश) लौटने की अनुमति दी, बशर्ते कि वे संबंधित अदालत के समक्ष बॉन्ड की अंडरटेकिंग दें और नोडल अधिकारी संतुष्ट हों.

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की एक खंडपीठ ने तबलीगी जमात के एक समूह की याचिका पर सुनवाई की. याचिका गृह मंत्रालय द्वारा आरोपियों की ब्लैक लिस्टिंग, भारत में रोके जाने और वीजा जब्ती के खिलाफ दायर की गई थी.

इससे पहले अदालत ने एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति के लिए कहा था, जो इन आरोपियों की वापसी की सुविधा प्रदान करे, बशर्ते कि निर्दिष्ट शर्तें पूरी हों.

आज अदालत को सूचित किया गया कि 35 लोगों में से 8 लोगों की वापसी के आदेश की पुष्टि की गई है. अंडरटेकिंग के बाद वे अपने घर (विदेश) की यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं. बाकी याचिकाकर्ताओं को भी छोड़ दिया गया है और कोई भी संशोधन आवेदन अभी तक नहीं आया है.

कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर याचिकाकर्ता इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित मामले के संबंध में लिखित में देते हैं, तो वे वापस जा सकते हैं. इसके साथ ही अदालत ने कोर्ट को 8 सप्ताह के भीतर मामले को तेजी से निपटाने का आदेश भी दिया.

आपको बता दें कि इससे जुड़े बाकी मामलों की सुनवाई अब अदालत मार्च में फिर से करेगी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने तबलीगी जमात की घटना में अभियुक्त विदेशियों को आज उनके घर (विदेश) लौटने की अनुमति दी, बशर्ते कि वे संबंधित अदालत के समक्ष बॉन्ड की अंडरटेकिंग दें और नोडल अधिकारी संतुष्ट हों.

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की एक खंडपीठ ने तबलीगी जमात के एक समूह की याचिका पर सुनवाई की. याचिका गृह मंत्रालय द्वारा आरोपियों की ब्लैक लिस्टिंग, भारत में रोके जाने और वीजा जब्ती के खिलाफ दायर की गई थी.

इससे पहले अदालत ने एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति के लिए कहा था, जो इन आरोपियों की वापसी की सुविधा प्रदान करे, बशर्ते कि निर्दिष्ट शर्तें पूरी हों.

आज अदालत को सूचित किया गया कि 35 लोगों में से 8 लोगों की वापसी के आदेश की पुष्टि की गई है. अंडरटेकिंग के बाद वे अपने घर (विदेश) की यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं. बाकी याचिकाकर्ताओं को भी छोड़ दिया गया है और कोई भी संशोधन आवेदन अभी तक नहीं आया है.

कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर याचिकाकर्ता इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित मामले के संबंध में लिखित में देते हैं, तो वे वापस जा सकते हैं. इसके साथ ही अदालत ने कोर्ट को 8 सप्ताह के भीतर मामले को तेजी से निपटाने का आदेश भी दिया.

आपको बता दें कि इससे जुड़े बाकी मामलों की सुनवाई अब अदालत मार्च में फिर से करेगी.

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