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गुरुग्राम नमाज केस: CJI हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग वाली याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत - राज्यसभा के पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब की सुप्रीम कोर्ट में याचिका

राज्यसभा के पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब की याचिका पर दलील देते हुए वकील इंदिरा जयसिंह ने जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि सांप्रदायिक घटनाओं पर लगाम लगाने में निष्क्रियता और लापरवाही के लिए हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जानी चाहिए.

गुरुग्राम नमाज केस
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Published : Jan 31, 2022, 1:19 PM IST

नई दिल्ली: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने सोमवार को हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की. याचिका में गुरुग्राम में निर्दिष्ट खुले स्थानों पर मुस्लिम समुदाय को नमाज अदायगी से रोकने के मामलों में उनकी कथित निष्क्रियता के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है. सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने सीजेआई के समक्ष याचिका का उल्लेख किया.

जयसिंह ने कहा, 'यह केवल समाचार पत्रों की रिपोर्टों पर आधारित नहीं है, हमने स्वयं शिकायत दर्ज की है. हम FIR लागू करने के लिए नहीं कह रहे हैं. इस अदालत ने निवारक उपाय निर्धारित किए हैं. सीजेआई ने कहा, मैं इस पर गौर करूंगा और तुरंत उचित बेंच के सामने पोस्ट करूंगा. याचिका में हरियाणा राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक संजीव कौशल आईएएस और पीके अग्रवाल आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.

अवमानना ​​कार्रवाई की मांग का आधार यह है कि हरियाणा के अधिकारी तहसीन एस पूनावाला बनाम यून‌ियन ऑफ इंडिया और अन्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने में विफल रहे हैं. उक्त मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में भीड़ हिंसा और लिंचिंग सहित घृणा अपराधों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने और रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए थे. पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि हाल के कुछ महीनों में, कुछ 'पहचाने जा सकने वाले गुंडों' के इशारे पर मुसलमानों द्वारा जुमे की नमाज के इर्द-गिर्द घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है.

याचिका में तर्क दिया गया है कि गुरुग्राम में इन घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय करने में राज्य मशीनरी की गंभीर निष्क्रियता है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि अप्रैल 2021 की शुरुआत में, स्थानीय निवासियों और शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए आने वाले व्यक्तियों को ऐसी प्रार्थना स्थलों पर इस तरह के दुर्भावनापूर्ण और घृणित अभियानों का सामना करना पड़ रहा है. याचिकाकर्ता के अनुसार, पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम के पास शिकायत दर्ज की गई है, लेकिन शिकायत के बावजूद, अवमानना ​​करने वालों की ओर से गंभीर निष्क्रियता बनी रही और गुरुग्राम में विभिन्न स्थानों पर हर शुक्रवार को घटनाएं तीव्रता और संख्या दोनों में बढ़ती गईं.

याचिकाकर्ता ने कहा है कि 3 दिसंबर को उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण, घटनाएं और बढ़ गईं और एक बड़ा समूह नमाज के विभिन्न स्थलों पर सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी और घृणास्पद नारे लगा रहा था. याचिका एडवोकेट फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से दायर की गई है और एडवोकेट आशिमा मंडला, इबाद मुश्ताक और आकांक्षा राय द्वारा तैयार की गई है.
पढ़ें: गुरुग्राम : इन आठ जगहों पर खुले में नहीं पढ़ पाएंगे नमाज, प्रशासन अलर्ट

गुरुग्राम में खुले में नमाज कराने को लेकर पिछले कुछ वक्त से विवाद हो रहा है. यहां खुले में नमाज का विरोध करते हुए हिंदू संगठनों का कहना है कि जिस सार्वजनिक जगह पर नमाज की जाती है, उस पर बाद में धर्म विशेष के लोग 'कब्जा' कर लेते हैं. काफी विवाद के बाद गुरुग्राम पुलिस ने सार्वजनिक स्थानों पर 'नमाज' के स्थान तय किए थे. कहा गया था कि ये स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा आपसी समझ के बाद तय किए गए हैं, लेकिन बीते कुछ महीनों से सेक्टर 47,सेक्टर 12 A और अब सेक्टर 37 में जिला प्रशासन द्वारा चिन्हित स्थानों पर खुले में नमाज का विरोध किया जा रहा है.

नई दिल्ली: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने सोमवार को हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की. याचिका में गुरुग्राम में निर्दिष्ट खुले स्थानों पर मुस्लिम समुदाय को नमाज अदायगी से रोकने के मामलों में उनकी कथित निष्क्रियता के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है. सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने सीजेआई के समक्ष याचिका का उल्लेख किया.

जयसिंह ने कहा, 'यह केवल समाचार पत्रों की रिपोर्टों पर आधारित नहीं है, हमने स्वयं शिकायत दर्ज की है. हम FIR लागू करने के लिए नहीं कह रहे हैं. इस अदालत ने निवारक उपाय निर्धारित किए हैं. सीजेआई ने कहा, मैं इस पर गौर करूंगा और तुरंत उचित बेंच के सामने पोस्ट करूंगा. याचिका में हरियाणा राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक संजीव कौशल आईएएस और पीके अग्रवाल आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.

अवमानना ​​कार्रवाई की मांग का आधार यह है कि हरियाणा के अधिकारी तहसीन एस पूनावाला बनाम यून‌ियन ऑफ इंडिया और अन्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने में विफल रहे हैं. उक्त मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में भीड़ हिंसा और लिंचिंग सहित घृणा अपराधों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने और रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए थे. पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि हाल के कुछ महीनों में, कुछ 'पहचाने जा सकने वाले गुंडों' के इशारे पर मुसलमानों द्वारा जुमे की नमाज के इर्द-गिर्द घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है.

याचिका में तर्क दिया गया है कि गुरुग्राम में इन घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय करने में राज्य मशीनरी की गंभीर निष्क्रियता है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि अप्रैल 2021 की शुरुआत में, स्थानीय निवासियों और शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए आने वाले व्यक्तियों को ऐसी प्रार्थना स्थलों पर इस तरह के दुर्भावनापूर्ण और घृणित अभियानों का सामना करना पड़ रहा है. याचिकाकर्ता के अनुसार, पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम के पास शिकायत दर्ज की गई है, लेकिन शिकायत के बावजूद, अवमानना ​​करने वालों की ओर से गंभीर निष्क्रियता बनी रही और गुरुग्राम में विभिन्न स्थानों पर हर शुक्रवार को घटनाएं तीव्रता और संख्या दोनों में बढ़ती गईं.

याचिकाकर्ता ने कहा है कि 3 दिसंबर को उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण, घटनाएं और बढ़ गईं और एक बड़ा समूह नमाज के विभिन्न स्थलों पर सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी और घृणास्पद नारे लगा रहा था. याचिका एडवोकेट फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से दायर की गई है और एडवोकेट आशिमा मंडला, इबाद मुश्ताक और आकांक्षा राय द्वारा तैयार की गई है.
पढ़ें: गुरुग्राम : इन आठ जगहों पर खुले में नहीं पढ़ पाएंगे नमाज, प्रशासन अलर्ट

गुरुग्राम में खुले में नमाज कराने को लेकर पिछले कुछ वक्त से विवाद हो रहा है. यहां खुले में नमाज का विरोध करते हुए हिंदू संगठनों का कहना है कि जिस सार्वजनिक जगह पर नमाज की जाती है, उस पर बाद में धर्म विशेष के लोग 'कब्जा' कर लेते हैं. काफी विवाद के बाद गुरुग्राम पुलिस ने सार्वजनिक स्थानों पर 'नमाज' के स्थान तय किए थे. कहा गया था कि ये स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा आपसी समझ के बाद तय किए गए हैं, लेकिन बीते कुछ महीनों से सेक्टर 47,सेक्टर 12 A और अब सेक्टर 37 में जिला प्रशासन द्वारा चिन्हित स्थानों पर खुले में नमाज का विरोध किया जा रहा है.

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