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किसानों की आवाज दबाने को हिंसा का रास्ता अपना रही सरकार : मोल्लाह

संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा के करनाल में किसानों के प्रदर्शन के दौरान लाठी चार्ज और बाद में एक किसान की मौत पर रोष व्यक्त किया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने सीधे तौर पर खट्टर सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. 'ईटीवी भारत' संवाददाता अभिजीत ठाकुर ने संयुक्त किसान मोर्चा के महासचिव हन्नान मोल्लाह से खास बातचीत की.

संयुक्त किसान मोर्चा के महासचिव हन्नान मोल्लाह
संयुक्त किसान मोर्चा के महासचिव हन्नान मोल्लाह
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Published : Aug 30, 2021, 7:27 PM IST

Updated : Aug 30, 2021, 7:38 PM IST

नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों के विरोध में हमारा आंदोलन हमेशा शांतिपूर्ण रहा है. सरकार जब तमाम हथकंडों के बावजूद किसानों की आवाज को दबा नहीं सकी तो अब हिंसा का रास्ता अपनाया जा रहा है. ये आरोप संयुक्त किसान मोर्चा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने लगाया है.

बता दें कि शनिवार को करनाल में पुलिस ने उग्र प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया जिसके एक दिन बाद रविवार को 55 वर्षीय सुशील काजल की मृत्यु हार्ट अटैक से हो गई. किसान नेताओं का मानना है कि सुशील की मौत पुलिस के लाठीचार्ज की वजह से हुई, जबकि करनाल के ही पुलिस अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि न तो सुशील लाठी चार्ज के बाद किसी अस्पताल गए और न ही उनकी मृत्यु के बाद उनका पोस्टमार्टम कराया गया. अगर पोस्टमार्टम कराया जाता तो मौत के असल कारणों का पता लग सकता था. वह सामान्य स्थिति में अपने घर गए और नींद के दौरान ही उनकी मौत हुई है. हालांकि किसान नेता स्थानीय प्रशासन की इस दलील को नकार देते हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा के महासचिव हन्नान मोल्लाह से खास बातचीत

'ईटीवी भारत' से विशेष बातचीत में मोल्लाह ने कहा कि हरियाणा सरकार और उनका प्रशासन पल्ला झाड़ने के लिए अब ये बाते कह रहे हैं. सच्चाई यही है कि पूरे आंदोलन के दौरान यह दूसरी बार हुआ है कि किसी किसान की मौत पुलिस बर्बरता के कारण हुई है. इससे पहले 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान भी एक उत्तराखंड के किसान की मौत पुलिस बर्बरता के कारण ही हुई थी जिसको दुर्घटना बताया गया.

हन्नान मोल्लाह ने कहा कि अब तक 600 से ज्यादा किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवा चुके हैं. हम तमाम तरह की कठिनाइयों को सहने के बावजूद शांतिपूर्ण रूप से अपना आंदोलन जारी रखे हैं और सरकार को अपनी बात समझना चाहते हैं लेकिन सरकार उनकी सुन नहीं रही है. सरकार कहती है कि वह किसानों से बातचीत करने को तैयार है लेकिन स्थान और समय नहीं बताती.

25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान

उधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया है कि वह करनाल SDM के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराए. हनन मोल्लाह ने बताया कि 5 सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में होने वाले किसान महापंचायत में कम से कम 5 लाख किसान एकत्रित होंगे और सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का काम करेंगे. उसके बाद 25 सितंबर को किसान आंदोलन के 10 महीने पूरे होने पर भारत बंद का आवाह्न भी किया गया है. उनका कहना है कि यह अब तक का सबसे बड़ा भारत बंद होगा.

पढ़ें- 'कॉर्पोरेटजीवी' सरकार का किसानों को 'आंदोलनजीवी' कहना शर्मनाक : हन्नान मोल्लाह

मोल्लाह ने कहा कि सरकार को जब चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ेगा तब शायद उन्हें समझ में आए कि किसानों की मांग को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
करनाल में किसान की मौत के बाद आंदोलनरत किसानों में आक्रोश है लेकिन इसके बावजूद किसान नेता कह रहे हैं कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से ही जारी रहेगा. तीन कृषि कानूनों में संशोधन के लिए सहमत किसान जत्थेबंदियों पर टिप्पणी करते हुए मोल्लाह ने कहा कि ये संगठन सरकार द्वारा प्रायोजित हैं जिनका अपना कोई अस्तित्व नहीं है. लिहाजा उनका आंदोलन जो कि 500 से ज्यादा किसान संगठनों का एक मंच है उसकी मांग पर सरकार को विचार करना चाहिए.

पढ़ें- हरियाणा लाठी चार्ज मामला : किसान नेता चढूनी ने जताई नाराजगी तो टिकैत बोले- देश में सरकारी तालिबानों का कब्जा

नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों के विरोध में हमारा आंदोलन हमेशा शांतिपूर्ण रहा है. सरकार जब तमाम हथकंडों के बावजूद किसानों की आवाज को दबा नहीं सकी तो अब हिंसा का रास्ता अपनाया जा रहा है. ये आरोप संयुक्त किसान मोर्चा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने लगाया है.

बता दें कि शनिवार को करनाल में पुलिस ने उग्र प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया जिसके एक दिन बाद रविवार को 55 वर्षीय सुशील काजल की मृत्यु हार्ट अटैक से हो गई. किसान नेताओं का मानना है कि सुशील की मौत पुलिस के लाठीचार्ज की वजह से हुई, जबकि करनाल के ही पुलिस अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि न तो सुशील लाठी चार्ज के बाद किसी अस्पताल गए और न ही उनकी मृत्यु के बाद उनका पोस्टमार्टम कराया गया. अगर पोस्टमार्टम कराया जाता तो मौत के असल कारणों का पता लग सकता था. वह सामान्य स्थिति में अपने घर गए और नींद के दौरान ही उनकी मौत हुई है. हालांकि किसान नेता स्थानीय प्रशासन की इस दलील को नकार देते हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा के महासचिव हन्नान मोल्लाह से खास बातचीत

'ईटीवी भारत' से विशेष बातचीत में मोल्लाह ने कहा कि हरियाणा सरकार और उनका प्रशासन पल्ला झाड़ने के लिए अब ये बाते कह रहे हैं. सच्चाई यही है कि पूरे आंदोलन के दौरान यह दूसरी बार हुआ है कि किसी किसान की मौत पुलिस बर्बरता के कारण हुई है. इससे पहले 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान भी एक उत्तराखंड के किसान की मौत पुलिस बर्बरता के कारण ही हुई थी जिसको दुर्घटना बताया गया.

हन्नान मोल्लाह ने कहा कि अब तक 600 से ज्यादा किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवा चुके हैं. हम तमाम तरह की कठिनाइयों को सहने के बावजूद शांतिपूर्ण रूप से अपना आंदोलन जारी रखे हैं और सरकार को अपनी बात समझना चाहते हैं लेकिन सरकार उनकी सुन नहीं रही है. सरकार कहती है कि वह किसानों से बातचीत करने को तैयार है लेकिन स्थान और समय नहीं बताती.

25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान

उधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया है कि वह करनाल SDM के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराए. हनन मोल्लाह ने बताया कि 5 सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में होने वाले किसान महापंचायत में कम से कम 5 लाख किसान एकत्रित होंगे और सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का काम करेंगे. उसके बाद 25 सितंबर को किसान आंदोलन के 10 महीने पूरे होने पर भारत बंद का आवाह्न भी किया गया है. उनका कहना है कि यह अब तक का सबसे बड़ा भारत बंद होगा.

पढ़ें- 'कॉर्पोरेटजीवी' सरकार का किसानों को 'आंदोलनजीवी' कहना शर्मनाक : हन्नान मोल्लाह

मोल्लाह ने कहा कि सरकार को जब चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ेगा तब शायद उन्हें समझ में आए कि किसानों की मांग को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
करनाल में किसान की मौत के बाद आंदोलनरत किसानों में आक्रोश है लेकिन इसके बावजूद किसान नेता कह रहे हैं कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से ही जारी रहेगा. तीन कृषि कानूनों में संशोधन के लिए सहमत किसान जत्थेबंदियों पर टिप्पणी करते हुए मोल्लाह ने कहा कि ये संगठन सरकार द्वारा प्रायोजित हैं जिनका अपना कोई अस्तित्व नहीं है. लिहाजा उनका आंदोलन जो कि 500 से ज्यादा किसान संगठनों का एक मंच है उसकी मांग पर सरकार को विचार करना चाहिए.

पढ़ें- हरियाणा लाठी चार्ज मामला : किसान नेता चढूनी ने जताई नाराजगी तो टिकैत बोले- देश में सरकारी तालिबानों का कब्जा

Last Updated : Aug 30, 2021, 7:38 PM IST
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