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UNESCO Honours Santiniketan: भारत का शांतिनिकेतन यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल

यूनेस्को ने पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन को विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर लिया है. यह जानकारी यूनेस्को ने एक्स में एक पोस्ट के जरिए दी. बता दें कि कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्वभारती की स्थापना की थी.

Shantiniketan of India included in UNESCOs World Heritage List
भारत का शांतिनिकेतन यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल
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By PTI

Published : Sep 17, 2023, 9:12 PM IST

Updated : Sep 17, 2023, 10:11 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है. शांतिनिकेतन में ही कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्वभारती की स्थापना की थी. यूनेस्को ने रविवार को सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में यह घोषणा की. यूनेस्को ने कहा, 'यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शांतिनिकेतन शामिल. भारत को बधाई.' पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए भारत लंबे समय से प्रयास कर रहा था. शांतिनिकेतन को इस सूची में शामिल करने का निर्णय सऊदी अरब में विश्व धरोहर समिति के 45वें सत्र के दौरान लिया गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर ट्वीट करते हुए लिखा खुशी है कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है. यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है.

  • "Delighted that Santiniketan, an embodiment of Gurudev Rabindranath Tagore's vision and India's rich cultural heritage, has been inscribed on the UNESCO World Heritage List. This is a proud moment for all Indians," tweets PM Modi pic.twitter.com/011OYRahdI

    — ANI (@ANI) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें खुशी और गर्व है कि शांतिनिकेतन को आखिरकार यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है. बनर्जी ने एक्स पर पोस्ट किया, 'बिश्व बांग्ला के गौरव, शांतिनिकेतन को कवि ने तैयार किया था और पीढ़ियों से बंगाल के लोगों ने इसका सहयोग किया है. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से हमने पिछले 12 वर्षों में इसके बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि की है और दुनिया अब इस धरोहर स्थल की महिमा को पहचानती है. उन सभी को बधाई जो बंगाल, टैगोर और उनके भाईचारे के संदेशों से प्यार करते हैं. जय बांग्ला, गुरुदेव को प्रणाम.'

  • Glad and proud that our Santiniketan, the town of Gurudev Rabindranath Tagore, is now finally included in UNESCO's World Heritage List. Biswa Bangla's pride, Santiniketan was nurtured by the poet and has been supported by people of Bengal over the generations. We from the…

    — Mamata Banerjee (@MamataOfficial) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शांतिनिकेतन को विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए एक दस्तावेज तैयार करने पर काम करने वाली प्रसिद्ध संरक्षण वास्तुकार आभा नारायण लांबा ने कहा कि वह खबर सुनने के बाद खुशी से झूम उठीं. उन्होंने कहा, 'हमने 2009 में दस्तावेज पर काम किया था और शायद तब समय सही नहीं था. लेकिन हम हमेशा शांतिनिकेतन की सुंदरता में विश्वास करते थे और आज इसे यूनेस्को की सूची में देखकर इसकी पुष्टि हुई.' मुंबई में रहने वालीं लांबा ने कहा कि एक बार जब 'इकोमोस' ने इसे सूची में शामिल करने की सिफारिश की, तो यह लगभग निश्चित था कि ऐसा होगा.

कुछ महीने पहले, अंतरराष्ट्रीय परामर्श संस्था 'इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स' (इकोमोस) द्वारा इस ऐतिहासिक स्थल को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई थी. फ्रांस आधारित 'इकोमोस' अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जिसमें पेशेवर, विशेषज्ञ, स्थानीय अधिकारी, कंपनियों और धरोहर संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं तथा यह दुनिया के वास्तुशिल्प एवं धरोहर स्थल के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित है.

यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र की आधिकारिक वेबसाइट पर दर्ज विवरण के मुताबिक, कोलकाता से 160 किमी दूर शांतिनिकेतन मूल रूप से रवींद्रनाथ टैगोर के पिता देबेंद्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया एक आश्रम था, जहां जाति और पंथ से परे कोई भी, आ सकता था और शिक्षा ले सकता था. इसमें कहा गया है कि महर्षि के नाम से प्रसिद्ध देबेंद्रनाथ टैगोर भारतीय पुनर्जागरण के अग्रणी व्यक्ति थे. महर्षि द्वारा निर्मित संरचनाओं में शांतिनिकेतन गृह और एक मंदिर था. वेबसाइट पर कहा गया, '19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में निर्मित दोनों संरचनाएं शांतिनिकेतन की स्थापना और बंगाल तथा भारत में धार्मिक आदर्शों के पुनरुद्धार और पुनर्व्याख्या से जुड़ी सार्वभौमिक भावना के साथ अपने संबंध में महत्वपूर्ण हैं.'

भारत के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक शांतिनिकेतन में स्थित विश्वभारती में मानविकी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, ललित कला, संगीत, प्रदर्शन कला, शिक्षा, कृषि विज्ञान और ग्रामीण पुनर्निर्माण में डिग्री पाठ्यक्रम की पेशकश की जाती है. विश्वविद्यालय की स्थापना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। 1951 में संसद के एक अधिनियम द्वारा इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था. विश्वभारती पश्चिम बंगाल का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय है और इसके कुलाधिपति प्रधानमंत्री हैं.

ये भी पढ़ें - UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज : भारत के 39 स्थल हैं वैश्विक धरोहर, जानिए इनकी खासियत

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है. शांतिनिकेतन में ही कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्वभारती की स्थापना की थी. यूनेस्को ने रविवार को सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में यह घोषणा की. यूनेस्को ने कहा, 'यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शांतिनिकेतन शामिल. भारत को बधाई.' पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए भारत लंबे समय से प्रयास कर रहा था. शांतिनिकेतन को इस सूची में शामिल करने का निर्णय सऊदी अरब में विश्व धरोहर समिति के 45वें सत्र के दौरान लिया गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर ट्वीट करते हुए लिखा खुशी है कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है. यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है.

  • "Delighted that Santiniketan, an embodiment of Gurudev Rabindranath Tagore's vision and India's rich cultural heritage, has been inscribed on the UNESCO World Heritage List. This is a proud moment for all Indians," tweets PM Modi pic.twitter.com/011OYRahdI

    — ANI (@ANI) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें खुशी और गर्व है कि शांतिनिकेतन को आखिरकार यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है. बनर्जी ने एक्स पर पोस्ट किया, 'बिश्व बांग्ला के गौरव, शांतिनिकेतन को कवि ने तैयार किया था और पीढ़ियों से बंगाल के लोगों ने इसका सहयोग किया है. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से हमने पिछले 12 वर्षों में इसके बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि की है और दुनिया अब इस धरोहर स्थल की महिमा को पहचानती है. उन सभी को बधाई जो बंगाल, टैगोर और उनके भाईचारे के संदेशों से प्यार करते हैं. जय बांग्ला, गुरुदेव को प्रणाम.'

  • Glad and proud that our Santiniketan, the town of Gurudev Rabindranath Tagore, is now finally included in UNESCO's World Heritage List. Biswa Bangla's pride, Santiniketan was nurtured by the poet and has been supported by people of Bengal over the generations. We from the…

    — Mamata Banerjee (@MamataOfficial) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शांतिनिकेतन को विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए एक दस्तावेज तैयार करने पर काम करने वाली प्रसिद्ध संरक्षण वास्तुकार आभा नारायण लांबा ने कहा कि वह खबर सुनने के बाद खुशी से झूम उठीं. उन्होंने कहा, 'हमने 2009 में दस्तावेज पर काम किया था और शायद तब समय सही नहीं था. लेकिन हम हमेशा शांतिनिकेतन की सुंदरता में विश्वास करते थे और आज इसे यूनेस्को की सूची में देखकर इसकी पुष्टि हुई.' मुंबई में रहने वालीं लांबा ने कहा कि एक बार जब 'इकोमोस' ने इसे सूची में शामिल करने की सिफारिश की, तो यह लगभग निश्चित था कि ऐसा होगा.

कुछ महीने पहले, अंतरराष्ट्रीय परामर्श संस्था 'इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स' (इकोमोस) द्वारा इस ऐतिहासिक स्थल को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई थी. फ्रांस आधारित 'इकोमोस' अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जिसमें पेशेवर, विशेषज्ञ, स्थानीय अधिकारी, कंपनियों और धरोहर संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं तथा यह दुनिया के वास्तुशिल्प एवं धरोहर स्थल के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित है.

यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र की आधिकारिक वेबसाइट पर दर्ज विवरण के मुताबिक, कोलकाता से 160 किमी दूर शांतिनिकेतन मूल रूप से रवींद्रनाथ टैगोर के पिता देबेंद्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया एक आश्रम था, जहां जाति और पंथ से परे कोई भी, आ सकता था और शिक्षा ले सकता था. इसमें कहा गया है कि महर्षि के नाम से प्रसिद्ध देबेंद्रनाथ टैगोर भारतीय पुनर्जागरण के अग्रणी व्यक्ति थे. महर्षि द्वारा निर्मित संरचनाओं में शांतिनिकेतन गृह और एक मंदिर था. वेबसाइट पर कहा गया, '19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में निर्मित दोनों संरचनाएं शांतिनिकेतन की स्थापना और बंगाल तथा भारत में धार्मिक आदर्शों के पुनरुद्धार और पुनर्व्याख्या से जुड़ी सार्वभौमिक भावना के साथ अपने संबंध में महत्वपूर्ण हैं.'

भारत के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक शांतिनिकेतन में स्थित विश्वभारती में मानविकी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, ललित कला, संगीत, प्रदर्शन कला, शिक्षा, कृषि विज्ञान और ग्रामीण पुनर्निर्माण में डिग्री पाठ्यक्रम की पेशकश की जाती है. विश्वविद्यालय की स्थापना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। 1951 में संसद के एक अधिनियम द्वारा इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था. विश्वभारती पश्चिम बंगाल का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय है और इसके कुलाधिपति प्रधानमंत्री हैं.

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Last Updated : Sep 17, 2023, 10:11 PM IST
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