मुंबई: ठाकरे सांसद संजय राउत ने अपने कोल्हापुर दौरे के दौरान शिंदे गुट की आलोचना करते हुए विधानमंडल को 'चोरमंडल' कहा था. बीजेपी विधायक राम शिंदे ने विधान परिषद में राउत के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था. डिप्टी स्पीकर नीलम गोरहे ने राउत से स्पष्टीकरण मांगा, जिसके बाद संजय राउत ने सफाई दी थी कि मेरा बयान पूरी विधानसभा के लिए नहीं बल्कि सिर्फ शिंदे गुट के विधायकों के लिए था. इस बीच, अधिकार हनन समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरहे ने जानकारी दी है कि संजय राउत अधिकार उल्लंघन समिति की रिपोर्ट राज्यसभा को भेजी जाएगी.
संजय राउत ने अपना जवाब राइट्स ब्रीच कमेटी को भेजा था. इस पर आपत्ति जताते हुए राइट्स ब्रीच कमेटी ने कहा कि जवाब संतोषजनक नहीं है. आज विधान परिषद में उपसभापति नीलम गोरहे ने समिति की रिपोर्ट पढ़ी. उन्होंने यह भी कहा कि समिति द्वारा रिपोर्ट की गई आपत्तियों को राज्यसभा भेजा जाएगा.
23 अगस्त 1954 को लोकसभा और राज्यसभा की विशेष अधिकार समिति की रिपोर्ट में कुछ बिंदुओं का उल्लेख किया गया था. इस प्रकार संसद के दोनों सदनों द्वारा स्वीकृत प्रक्रियाओं को सभी राज्यों के पीठासीन अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार अपनाया गया कि यदि राज्य विधानमंडल के एक सदस्य द्वारा दूसरे सदस्य के विरुद्ध अधिकारों के हनन और अवमानना का मामला ,संसद और अन्य राज्य विधानमंडल में प्रथम दृष्टया प्रकाश में आने पर जिस सदस्य के विरुद्ध निरर्हता समिति ने अधिकारों के हनन का मामला दर्ज किया है उसे सदन के सदस्य के पास भेजा जाता है.
संजय राउत ने विधानमंडल के सदनों द्वारा नियुक्त समितियों की विशेष शक्तियों, समितियों की निष्पक्षता और समिति की समग्र कार्यवाही पर सवाल उठाया है. संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा का सदस्य होने के बावजूद विधान परिषद की विशेष अधिकार समिति की कार्रवाई पर संदेह पैदा करने की कोशिश है. इस पृष्ठभूमि में उनका कार्य विधान परिषद की शक्तियों के प्रकटीकरण के संबंध में मत से सहमत नहीं हो सकता. मुझे नहीं लगता कि उनका स्पष्टीकरण उचित और संतोषजनक है इसलिए नियम के अनुसार भारतीय संसद के दोनों सदनों में संसदीय समन्वय बनाए रखने के लिए और अपनी जिम्मेदारी समझते हुए गोरहे ने समझाया कि संजय राउत के जवाब को राज्यसभा को भेजा जा रहा है.